चाँदनी मृग छौने सी भटक रही
उलझी लता वेणु में अटक रही
पूनम के रात का उज्जवल रुप
दूध में केसरी आभा छिटक रही
ओढ़ शशि धवल पुंजों की दुशाला
निशि के नील भाल पर लटक रही
तट,तड़ाग,सरित,सरोवर के जल में
चाँदनी सुधा बूँदो में है टपक रही
अधखुली पलकों को चूम समाये
ख्वाब में चाँदी वरक लगाए लिपट रही
#श्वेता🍁