Showing posts with label सफेद कोट वाले भगवान से.....समाजिक कविता...छंदमुक्त. Show all posts
Showing posts with label सफेद कोट वाले भगवान से.....समाजिक कविता...छंदमुक्त. Show all posts

Monday, 17 June 2019

सफेद कोट वाले भगवान से...


साक्षात अवतार 
बीमार गरीब के लिए
जीवनदाता हैं 
सफेद कोट वाले भगवान
सर्दी,कफ़,बुखार से घरघराते
नन्हे-नन्हे बच्चे
हाथ,पाँव पर पलस्तर चढ़ाये 
पपड़ीदार मुँह लिये नौजवान
प्रसव पीड़ा से छटपटाती औरतें,
असाध्य रोगों से तंग होकर 
मुक्ति के लिए शून्य में ताकते 
मरियल काया ढोते बुजुर्ग
सुविधाहीन,गंदे परिसर में
अपनी बारी के इंतजार में
उँघते,थके हैरान-परेशान परिजन
सरकारी हस्पताल के राहदारी में
हाथ जोड़े,पनियायी आँखों से
मुँह ताकते,उनके मुख से झरे
शब्द-शब्द पूजा के मंत्र सा जापते
श्रद्धानत मस्तक उम्मीद है
स्वस्थ कर देंगे 
सफेद कोट वाले भगवान....
और तथाकथित भगवान...;
गंभीर ,मुर्दानी छाये चेहरे लिये
मरीजों और परिजनों के सवालों से उकताये
जल्दी-जल्दी सरकारी बीमार निपटाते
चंद मरीज को देखने के बाद
टी ब्रेक लेकर फोन टापते
डिनर,लंच के लिए,
नये प्रोजेक्ट डिस्कसन करते
एप्वाइंटमेंट फिक्स करते,
काग़जों में बीमार स्वस्थ करते
जैसे-तैसे जिम्मेदारी पूरी कर 
प्राइवेट पेंशेट की
लंबी प्रतीक्षित सूची अपडेट लेते हैं...
मरीजों के मरने पर 
आक्रोशित परिजनों के
सवाल पूछे जाने पर,
दुर्व्यवहार से आहत होकर
"हड़ताल" पर चले जाते हैं
सिर्फ़ गरीबों के लिए
सरकारी हस्पतालों में...
सफेद कोट वाले भगवान
अपने हक़ की लड़ाई में
तड़पते,कराहते,रोते,घिघियाते
मरीजों को अनदेखा कर
संवेदनशील,दयालु भगवान 
रुष्ट होकर,आला त्यागकर
धरने में बैठ जाते हैं..
आखिर उनका जीवन 
बेशकीमती है,सम्मानजनक है
उनके अपमान का ख़ामियाज़ा
भुगतना पडेगा ही 
सरकारी गरीबों को।
बाकी एक सवाल 
सफेद कोट वाले
धरती के भगवान से..
प्रभु! आपके हड़ताल से 
हाहाकार मच जाता है 
सहमे हुये मरीज सहित परिजन
ऊपर वाले भगवान से निहोरा करते
पर...
आपके प्रिय मालदार भक्त,
वंचित हैं क्या
आपके
आरोग्य के आशीष से...?

#श्वेता सिन्हा

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...