मैं ख़्वाब हूँ मुझे ख़्वाब में ही प्यार कर
पलकों की दुनिया में जीभर दीदार कर
पलकों की दुनिया में जीभर दीदार कर
न गिन ज़ख़्म दिल के,रहम मेरे यार कर
न तंज की सान पर लफ़्ज़ों को धार कर
छोड़ दे न साँस साथ कंटकों से हार कर
ज़िंदा कहते हो ख़ुद को ज़मीर अपना मार कर