न तोड़ो आईना यूँ राह का पत्थर बनकर
खनकने दो न हसी प्यार का मंज़र बनकर
चुपचाप सोये है जो रेत के सफीने है
साथ बह जायेगे लहरों के समन्दर बनकर
न समझो धूल हिकारत से हमको देखो न
आँधी आने दो उड़ा देगे बबंडर बनकर
दिल कौन जीत पाया है शमशीर के बल
मैदान मार लो चाहो तो सिकंदर बनकर
क्या कम है किसी से तेरे जीवन के सफर
हलाहल रोज ही पीते तो हो शंकर बनकर
छुपा लूँ खींच के हाथों में लकीरों की तरह
साँसों सा साथ रहे मेेरा मुकद्दर बनकर
#श्वेता🍁
खनकने दो न हसी प्यार का मंज़र बनकर
चुपचाप सोये है जो रेत के सफीने है
साथ बह जायेगे लहरों के समन्दर बनकर
न समझो धूल हिकारत से हमको देखो न
आँधी आने दो उड़ा देगे बबंडर बनकर
दिल कौन जीत पाया है शमशीर के बल
मैदान मार लो चाहो तो सिकंदर बनकर
क्या कम है किसी से तेरे जीवन के सफर
हलाहल रोज ही पीते तो हो शंकर बनकर
छुपा लूँ खींच के हाथों में लकीरों की तरह
साँसों सा साथ रहे मेेरा मुकद्दर बनकर
#श्वेता🍁