जिंदगी तेरे राह में हर रंग का नज़ारा मिला
कभी खुशी तो कभी गम बहुत सारा मिला
कभी खुशी तो कभी गम बहुत सारा मिला
जो गुजरा लम्हा खुशी की पनाह से होकर
बहुत ढ़ूँढ़ा वो पल फिर न कभी दोबारा मिला
बहुत ढ़ूँढ़ा वो पल फिर न कभी दोबारा मिला
तय करना है मंजिल सफर में चलते रहना है
वो खुशनसीब रहे जिन्हें हमसफर प्यारा मिला
वो खुशनसीब रहे जिन्हें हमसफर प्यारा मिला
हथेलियों से ढका कब तलक दीप रौशन रहता
पल भर मे बुझा जब हवाओं का सहारा मिला
पल भर मे बुझा जब हवाओं का सहारा मिला
जिसने जीता हो ज़िदगी को हर मुकाम पर
अक्सर ही अपनों के बीच वो हमें हारा मिला
अक्सर ही अपनों के बीच वो हमें हारा मिला
वाह...
ReplyDeleteबेहतरीन..
जिसने जीता हो
जिन्दगी को
हर मुकाम पर
ब्लॉग सेतु में रजिस्टर करवाइए अपने ब्लॉग को
सादर
जी,बहुत बहुत आभार दी, कैसे करवाये दी?
Deleteमार्गदर्शन करें।
वाहहह
ReplyDeleteबहुत सुंदर ग़ज़ल
बहुत बहुत आपका लोकेश जी।
Deleteबहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल। शानदार। वाह वाह।
ReplyDeleteजिसने जीता हो ज़िंदगी को हर मुकाम पर।
अक्सर ही अपनों के बीच वो हमें हारा मिला।।
आप कलम कारी कमाल की है। वर्तमान में गिने चुने रचनाकार ही ऐसा अद्भुत काम कर रहे हैं। नमन
आपकी इतनी सराहना के लिए शब्द नहीं मेरे पास कैसे शुक्रिया कहे।अपने शुभकामनाओं का साथ बनाये रखे अमित जी।
Deleteहृदय से आभार बहुत सारा।
what a beautiful line..Sweta
ReplyDeleteहथेलियों से ढका कब तलक दीप रौशन रहता
Thnx for sharing....
😊😊
DeleteThanku so much संजय जी।
आपका बहुत शुक्रिया आभार धन्यवाद।
बहुत ही उम्दा ! लेखन ,सधी व सुन्दर भाव आभार "एकलव्य"
ReplyDeleteबहुत बहुत.शुक्रिया आभार आपका ध्रुव जी।
Deleteहृदय से धन्यवाद।
आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजो गुजरा लम्हा खुशी की पनाह से होकर
ReplyDeleteबहुत ढ़ूँढ़ा वो पल फिर न कभी दोबारा मिला-- पित श्वेता बहन हर रचना अचम्भित कर देती है !!!!!!!! बहुत खूब और सिर्फ वाह !! और वाह !!!!!!!!!!