Friday, 7 July 2017

ज़िदगी तेरी राह में



जिंदगी तेरे राह में हर रंग का नज़ारा मिला
कभी खुशी तो कभी गम बहुत सारा मिला

जो गुजरा लम्हा खुशी की पनाह से होकर
बहुत ढ़ूँढ़ा वो पल फिर न कभी दोबारा मिला

तय करना है मंजिल सफर में चलते रहना है
वो खुशनसीब रहे जिन्हें हमसफर प्यारा मिला

हथेलियों से ढका कब तलक दीप रौशन रहता
पल भर मे बुझा जब हवाओं का सहारा मिला

जिसने जीता हो ज़िदगी को हर मुकाम पर
अक्सर ही अपनों के बीच वो हमें हारा मिला
           #श्वेता🍁



12 comments:

  1. वाह...
    बेहतरीन..
    जिसने जीता हो
    जिन्दगी को
    हर मुकाम पर
    ब्लॉग सेतु में रजिस्टर करवाइए अपने ब्लॉग को
    सादर

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    1. जी,बहुत बहुत आभार दी, कैसे करवाये दी?
      मार्गदर्शन करें।

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  2. वाहहह
    बहुत सुंदर ग़ज़ल

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    1. बहुत बहुत आपका लोकेश जी।

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  3. बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल। शानदार। वाह वाह।

    जिसने जीता हो ज़िंदगी को हर मुकाम पर।
    अक्सर ही अपनों के बीच वो हमें हारा मिला।।

    आप कलम कारी कमाल की है। वर्तमान में गिने चुने रचनाकार ही ऐसा अद्भुत काम कर रहे हैं। नमन

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    1. आपकी इतनी सराहना के लिए शब्द नहीं मेरे पास कैसे शुक्रिया कहे।अपने शुभकामनाओं का साथ बनाये रखे अमित जी।
      हृदय से आभार बहुत सारा।

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  4. what a beautiful line..Sweta
    हथेलियों से ढका कब तलक दीप रौशन रहता
    Thnx for sharing....

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    1. 😊😊
      Thanku so much संजय जी।
      आपका बहुत शुक्रिया आभार धन्यवाद।

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  5. बहुत ही उम्दा ! लेखन ,सधी व सुन्दर भाव आभार "एकलव्य"

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    1. बहुत बहुत.शुक्रिया आभार आपका ध्रुव जी।
      हृदय से धन्यवाद।

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  6. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  7. जो गुजरा लम्हा खुशी की पनाह से होकर
    बहुत ढ़ूँढ़ा वो पल फिर न कभी दोबारा मिला-- पित श्वेता बहन हर रचना अचम्भित कर देती है !!!!!!!! बहुत खूब और सिर्फ वाह !! और वाह !!!!!!!!!!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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