आँख में थोड़ा पानी होठों पे चिंगारी रखो
ज़िदा रहने को ज़िदादिली बहुत सारी रखो
राह में मिलेगे रोड़े,पत्थर और काँटें भी बहुत
सामना कर हर बाधा का सफर जारी रखो
सामना कर हर बाधा का सफर जारी रखो
कौन भला क्या छीन सकता है तुमसे तुम्हारा
खुद पर भरोसा रखकर मौत से यारी रखो
खुद पर भरोसा रखकर मौत से यारी रखो
न बनाओ ईमान को हल्का सब उड़ा ही देगे
अपने कर्म पर सच्चाई का पत्थर भारी रखो
अपने कर्म पर सच्चाई का पत्थर भारी रखो
गुजरते लम्हे न लौटेगे कभी ये ध्यान रहे
एक एक पल को जीने की पूरी तैयारी रखो
एक एक पल को जीने की पूरी तैयारी रखो
बहुत बेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeleteजी, आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteवाह ! क्या कहने हैं ! लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका सर।
Deleteबहुत ख़ूब ! क्या लिखा है सुन्दर रचना
ReplyDeleteआभार "एकलव्य"
जी, बहुत.बहुत आभार शुक्रिया आपका ध्रुव जी।
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