घोलकर तेरे एहसास जेहन की वादियों में,
मुस्कुराती हूँ तेरे नाम के गुलाब खिलने पर।
तेरा ख्याल धड़कनों की ताल पर गूँजता है,
गुनगुनाते हो साँसों में जीवन रागिनी बनकर।
तन्हाई के आगोश में लिपटी रिमझिम यादें,
भींगो जाती है कोना कोना मन के आँगन का।
खामोशियों में फैलती तेरी बातों की खुशबू,
महक जाते है जज़्बात तुम्हें महसूस करके।
जबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने,
कोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में।
#श्वेता🍁
मुस्कुराती हूँ तेरे नाम के गुलाब खिलने पर।
तेरा ख्याल धड़कनों की ताल पर गूँजता है,
गुनगुनाते हो साँसों में जीवन रागिनी बनकर।
तन्हाई के आगोश में लिपटी रिमझिम यादें,
भींगो जाती है कोना कोना मन के आँगन का।
खामोशियों में फैलती तेरी बातों की खुशबू,
महक जाते है जज़्बात तुम्हें महसूस करके।
जबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने,
कोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में।
#श्वेता🍁
आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहृदयतल से अति आभारी हूँ आदरणीय सर।
Deleteजबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने,
ReplyDeleteकोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में।
वाह!!!
बहुत खूबसूरत ....
जबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने,
ReplyDeleteकोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में।!!!!!!!
-- सचमुच बड़ी ही रेशनी चाहत है श्वेता बहन |
बहुत सुंदर रचना !!