Monday, 24 April 2017

तुम ही तुम हो

मुस्कुराते हुये ख्वाब है आँखों में
महकते हुये गुलाब है आँखों में

बूँद बूँद उतर रहा है मन आँगन
एक कतरा माहताब  है  आँखों में

उनकी बातें,उनका ही ख्याल बस
रोमानियत भरी किताब है आँखों में

जिसे पीकर भी समन्दर प्यासा है
छलकता दरिया ए आब है आँखों में

लम्हा लम्हा बढ़ती बेताबी दिल की
खुमारियों का सैलाब है आँखों में

लफ्जों की सीढ़ी से दिल में दाखिल
अनकहे सवालों के जवाब है आँखों में

        #श्वेता🍁

14 comments:

  1. श्वेता जी, एहसासों के बूंदो से छलकती सुंदर रचना,,,,

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    1. जी बहुत आभार शुक्रिया आपका P.K ji

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 25 अप्रैल 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका दी शुक्रिया बहुत सारा🙏

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  3. अद्भुत दृश्यात्मक रचना। बेहतरीन ग़ज़ल। एक मूड का सिलसिलेवार तब्सिरा। बेमिसाल ख़्याल।

    लम्हा लम्हा बढ़ती बेताबी दिल की
    खुमारियों का सैलाब है आँखों मे।

    खूब भालो।

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपकी सुंदर प्रतिक्रिया हमेशा की तरह अमित जी...तहे दिल से शुक्रिया

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  4. सुन्दर! रचना श्वेता ,कुछ पंक्तियाँ आपकी लेखनी के लिए


    श्वेता कलम सी लिखती जा
    जो ख़्वाब तुम्हारे आँखों में

    रुकना मत ठहरे नीर सा तूँ
    शैलाब है तेरी आँखों में ,

    दिखेंगे दिन में स्वप्न कई
    नींद न लाना ,आँखों में

    चिरस्थाई शब्दों का
    तूँ मर्म जगाना आँखों में।

    "एकलव्य"





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    1. क्या बात है ध्रुव जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया मन आहृलादित हुआ।आपकी सुंदर शुभकामनाओं के लिए हृदय से बहुत बहुत शुक्रिया,बहुत आभार ध्रुव जी

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  5. Replies
    1. आभार शुक्रिया बहुत सारा सुशील जी

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  6. किसी की बातें ... प्रेम की बातें चाँद से काम कहाँ हैं ... लाजवाब ग़ज़ल ...

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    1. जी बहुत बहुत शुक्रिया आभार आपका दिगंबर जी

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  7. बहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    बेहद खूबसूरत ...पोस्ट
    शुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपको संजय जी,इतनी सुंदर टिप्पणी के लिए।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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