फूलेंगे हरसिंगार
प्रकृति करेगी नित नये श्रृंगार
सूरज जोगी बनेगा
ओढ़ बादल डोलेगा द्वार द्वार
झाँकेगी भोर आसमाँ की खिड़की से
किरणें धरा को प्यार से चूमेगी
मैं रहूँ न रहूँ
प्रकृति करेगी नित नये श्रृंगार
सूरज जोगी बनेगा
ओढ़ बादल डोलेगा द्वार द्वार
झाँकेगी भोर आसमाँ की खिड़की से
किरणें धरा को प्यार से चूमेगी
मैं रहूँ न रहूँ
मौसम की करवटों में
सिहरेगी मादक गुनगुनी धूप
पीपल की फुनगी पर
नवपात लजायेगी धर रक्तिम रूप
पपीहा, कोयल लगायेगे आवाज़
भँवर तितली रंगेगे मन के साज
फूट के नव कली महकेगी
मैं रहूँ न रहूँ
सिहरेगी मादक गुनगुनी धूप
पीपल की फुनगी पर
नवपात लजायेगी धर रक्तिम रूप
पपीहा, कोयल लगायेगे आवाज़
भँवर तितली रंगेगे मन के साज
फूट के नव कली महकेगी
मैं रहूँ न रहूँ
चार दिन बस चार दिन ही
मेरी कमी रूलायेगी
सजल नयनों में रिमझिम
अश्रुओं की बरखा आयेगी
थक कर किसी जीवन साँझ में
छोड़ चादर तन की चली जाऊँगी
मन की पाखी बनके उड़ उड़
यादों को सहलाऊँगी
अधर स्मित मुसकायेगे
मैं रहूँ न रहूँ
मेरी कमी रूलायेगी
सजल नयनों में रिमझिम
अश्रुओं की बरखा आयेगी
थक कर किसी जीवन साँझ में
छोड़ चादर तन की चली जाऊँगी
मन की पाखी बनके उड़ उड़
यादों को सहलाऊँगी
अधर स्मित मुसकायेगे
मैं रहूँ न रहूँ
#श्वेता🍁
निःशब्द!
ReplyDeleteजी,निःशब्द सारगर्भित है।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका विश्वमोहन जी।
बहुत ही खूबसूरत
ReplyDeleteदिल की गहराई से उतरे जज़्बात
जी, बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteमन्त्रमुग्ध करता प्रकृति के अमर और नश्वर रूप का
ReplyDeleteमनोरम वर्णन .
जी, आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।
Deleteसब कुछ रह जाता है यहीं ... हाँ याद रहती है जो मधुर एहसास देती रहती है ...
ReplyDeleteनश्वर तो सब कुछ है यहाँ सिवाए प्राकृति के ...
जी, नासवा जी,रचना का मर्म समझने के लिए अति आभार आपका।
Deleteइसी का नाम जिंदगी हैं स्वेता। हम रहे या न रहे सब कुछ वैसे ही चलता रहता है जैसे हमारे न होने से किसी को कोई फर्क ही नही पड़ा।
ReplyDeleteजी, अति आभार ज्योति जी।
Deleteजी, तो प्रकृति एवं संसार का नियम है।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 23 अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी, अति आभार आपका पम्मी जी। आपने रचना को मान देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आपका।
Deleteमनुष्य बड़ा समझौतावादी होता है ! खासकर परिस्थितियों के मामले में ! वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है ! वेदना का प्रभाव धीरे धीरे कम होने लगता है ! चाहे वह वेदना कितनी ही बड़ी क्यों न हो ! हाँ मगर यादें रह जातीं हैं ! जिंदगी और समाज की हलचल पुनः सामान्य हो जाती है ! भावनाओं का का बहुत ही खूबसूरत इजहार आपने किया है ! सुंदर भाव प्रवाह ! सुंदर रचना ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार तहेदिल से आपका शुक्रिया सर, रचना को विस्तार देती आपकी गहन प्रतिक्रिया।बहुत आभारी है हम।
Deleteबहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी रचना....
ReplyDeleteसच में किसी के होने न होने से कहाँ कुछ बदलता है
जाने वाले की कमी अपनो के मन मस्तिष्क पर याद के रूप मे बनी तो रहती है पर ....बदलता कुछ भी नहीं...
लाजवाब प्रस्तुति...
जी, सुधा जी सही कहा यादों में ही लोग जीवित रहते है।आपकी सुलझी हुयी प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से अत्यंत आभार आपका।
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहु्त बहुत आभार रितु जी।
Deleteश्वेता जी एक ओर आपने प्रकृति का इतना मनोहारी स्वरुप उकेरा कि मन प्रफुल्लित हो उठा किन्तु अंत में आपने जीवन के कटु सत्य से परिचय करा दिया जोकि पाठकों को ख़ुशियों में डूबकर भी समय की कठोरता को याद रखने का बख़ूबी सबक़ है। थोड़ी निराशा हुई दुखांत रचना से फिर सच को स्वीकारना ही हमारी नियति है। भावों का आरोह -अवरोह एक नया प्रयोग है आपका। बधाई एवं शुभकामनाऐं।
ReplyDeleteजी, रवींद्र जी आपकी सराहनीय , उत्साह वर्धन करती सारगर्भित प्रतिक्रिया सदैव और अच्छा लिखने को प्रेरित करते है।अपनी सुंदर प्रतिक्रियाओं की ऊर्जा बनाये रखे कृपया। अति आभार तहेदिल से आपका रवींद्र जी।
Deleteबहुत सुंदर मनोहारी एवं हृदय में एक टीस उठाती रचना। सच, यही तो नियति है हम मानवों की । आपकी इस रचना पर मेरी प्रिय कवयित्री महादेवी वर्मा जी की दो पंक्तियाँ सहज ही याद हो आई हैं --
ReplyDelete"क्या अमरों का लोक मिलेगा,तेरी करूणा का उपहार ?
रहने दो हे देव !अरे,यह मेरा मिटने का अधिकार !"
वाह्ह्ह,मीना जी कितनी सुंदर पंक्तियाँ प्रतिक्रिया स्वरूप आपने लिखी बहुत ही सुंदर👌👌👌
Deleteअति आभार हृदय से आपका मीना जी सस्नेह।
सुन्दर
ReplyDeleteथक कर किसी जीवन साँझ में
ReplyDeleteछोड़ चादर तन की चली जाऊँगी
मन की पाखी बनके उड़ उड़
यादों को सहलाऊँगी
बहुत ही भावपूर्ण रचना प्रिय श्वेता। भावों को सलीके से कहना कोई तुमसे सीखे। प्यार बस 💘💘❤❤