Monday, 9 October 2017

उम्र की हथेलियों से


नज़्म

ख़्वाहिशों के बोझ से  
दबी ज़िदगी की
सीली मुट्ठियों में बंद 
तुड़े-मुड़े परों की 
सतरंगी तितलियाँ
अक्सर कुलबुलाती हैंं
दरारों से उंगलियों की 
उलझकर रह जाती हैं।


ढककर हथेलियों से
सूरज की फीकी कतरनें
ढलती शाम के स्याह अंधेरों में
च़राग लिये ढूँढ़ते हैं
बुझे तारे ख़्वाहिशों के
जलाकर जगमगाने को
बोझिल ख़्वाबों की राहदारी को।


उमर की हथेलियों से
फिसलते लम्हों की
चंद गिनती की साँसों पर
तुम्हारी छुअन के महकते निशां हैं
भीगी पलकों के चिलमन में
गुनगुनाती तस्वीर तेरी
कसमसाती धड़कनों की
गूँजती ख़ामोश सदाओं में
एहसास के शरारे से
तन्हाइयों की गलियाँ रोशन हैं।

       #श्वेता🍁


31 comments:

  1. ढककर हथेलियों से
    सूरज की फ़ीकी कतरनें.

    Wahhhhh। बहुत ही उम्दा

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    1. अति आभार आपका अमित जी,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  2. महत्वाकांक्षाओं की दौड़-धूप के बीच ज़िन्दगी में सुकूं तलाश रही है आपकी अभिव्यक्ति।बिम्बों और प्रतीकों का सौन्दर्यमयी प्रयोग।
    कटीली झाड़ियों में उलझी ख़्वाबों की चादर आहिस्ते से ,क़रीने से ,संयम से सुलझानी होती है।
    उत्तम सृजन।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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    1. आपकी सुंदर और सुलझी हुई प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से शुक्रिया आपका खूब सारा रवींद्र जी।
      आपकी प्रेषित शुभकामनाएँ काम कर रही है,कृपया शुभकामनाओं का साथ बनाये रखे।

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  3. ......तन्हाईयों की गलियाँ रोशन है! बहुत उम्दा!

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    1. अति आभारा आपका विश्वमोहन जी,आपकी बेशकीमती सराहना मिली मन उत्साहित हुआ।
      हृदयतल से आभार आपका।

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  4. भीगी पलकों के चिलमन में
    गुनगुनाती तस्वीर तेरी
    कसमसाती धड़कनों की
    गूँजती ख़ामोश सदाओं में
    वाह!!!
    लाजवाब.....

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    1. अति आभार आपका सुधा जी।मेरा मनोबल आप सदैव बढ़ा जाती है हृदयतल से अति आभार आपका सस्नेह।

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  5. वाहःह बेहतरीन रचना
    बहुत खूब

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    1. अति आभार आपका लोकेश जी,हृदयतल से शुक्रिया खूब सारा।

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  6. बेहतरीन भावों‎ को संजोये लाजवाब रचना‎ .

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    1. बहुत आभार आपका मीना जी।तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  7. उमर की हथेलियों से
    फिसलते लम्हों की
    चंद गिनती की साँसों पर
    तुम्हारी छुअन के महकते निशां हैं...
    बहुत बढ़िया, स्वेता!

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    1. बहुत बहुत आभार ज्योति जी आप सदैव मेरी रचनाओं को सराहती है बहुत उत्साहवर्धन होता है।
      तहेदिल से शुक्रिया आपका खूब सारा।सस्नेह।

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    1. अति आभार आपका राजीव जी।

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  9. सुन्दर ! काबिलेतारीफ़ ,
    सादर

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    1. जी अति आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया।
      सादर।

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  10. अत्यंत सुंदर रचना ! एक ही रचना में जाने कितने ही चित्र खींच दिए आपने ! बधाई ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।सस्नेह शुक्रिया खूब सारा।

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  11. बहुत प्रभावशाली रचना सुंदर दिल को छूते शब्द ...मनभावन

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका संजय जी।आपकी प्रतिक्रिया सदैल मनोबल बढ़ा जाती है।

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  12. वाह.... एक एक शब्द दिल को छू जातें हैं।लाज़बाब रचना।

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  13. वाह!श्वेता ,क्या बात है ,ख्वाहिशों के बोझ से दबी जिंदगी ,बंद हथेलियों में मुडी-तुडी तितलियाँ ..अक्सर कुलबुलाती हैं ..वाह!!.

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  14. न जाने क्यों अचानक ही मन में कुछ ये ख्याल आया इस नज़्म को पढ़ते पढ़ते कि
    ख्वाहिशों को कर बुलंद इतना कि हर ख्वाहिश पर दम निकले
    बहुत निकले मेरे अरमाँ फिर भी कम निकले ।
    वैसे मैंने सब कुछ जोड़ तोड़ खिचड़ी से बना दिया लेकिन झारखंड की तो खिचड़ी भी मशहूर है न ।तो समझ लो ये चटपटी खिचड़ी टाइप लिखा मैंने ।
    रही नज़्म तो भई अभी से उम्र के हाथों लम्हे क्यों फिसल रहे ? ये चंद गिनती की सांसें ...
    खैर नज़्म बहुत खूबसूरती से कही गयी है ।अंतिम दो पंक्तियाँ बहुत सुंदर ।

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  15. ढककर हथेलियों से
    सूरज की फीकी कतरनें
    ढलती शाम के स्याह अंधेरों में
    च़राग लिये ढूँढ़ते हैं
    बुझे तारे ख़्वाहिशों के
    जलाकर जगमगाने को
    बोझिल ख़्वाबों की राहदारी को।

    वाह !! लाज़बाब सृजन श्वेता जी,सादर नमन आपको

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  16. उमर की हथेलियों से
    फिसलते लम्हों की
    चंद गिनती की साँसों पर
    तुम्हारी छुअन के महकते निशां हैं
    भीगी पलकों के चिलमन में
    गुनगुनाती तस्वीर तेरी
    कसमसाती धड़कनों की
    गूँजती ख़ामोश सदाओं में
    एहसास के शरारे से
    तन्हाइयों की गलियाँ रोशन हैं।
    एहसासों के गलियारों में भ्स्टकते मन का प्रीत राग। भावपूर्ण रचना प्रिय श्वेता। अच्छा लगा पढ़कर। हार्दिक शुभकामनाएं और प्यार।

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  17. उमर की हथेलियों से
    फिसलते लम्हों की
    चंद गिनती की साँसों पर
    तुम्हारी छुअन के महकते निशां हैं
    भीगी पलकों के चिलमन में
    गुनगुनाती तस्वीर तेरी
    कसमसाती धड़कनों की
    गूँजती ख़ामोश सदाओं में
    एहसास के शरारे से
    तन्हाइयों की गलियाँ रोशन हैं। तन्हाइयों में भी रोशनी और उम्मीद की किरण जैसी उत्कृष्ट रचना..

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  18. वाह बेहतरीन रचना।

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  19. भीगे से अहसास !
    साँझ की लालिमा जैसे आने वाली कलझांई को महसूस कर रही हैं ।
    सुंदर भाव चित्र।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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