Saturday, 7 October 2017

तेरा साथ प्रिय

जीवन सिंधु की स्वाति बूँद
तुम चिरजीवी मैं क्षणभंगुर,
इस देह से परे मन बंधन में
मादक कुसुमित तेरा साथ प्रिय।

पल पल स्पंदित सम्मोहन
दृग छू ले तो होती सिहरन,
विह्वल उर की व्याकुलता
अंतस तृप्ति तेरा साथ प्रिय।

अव्यक्त व्यक्त भावों का गीत
विस्मृत स्वप्नों के तुम मनमीत,
कंटक से भरे जीवन पथ पर
मृदु मोरपंखी तेरा साथ प्रिय।

स्वर्ण मृग जग छलती माया में
क्षण क्षण मिटती इस काया में,
निशि कानन के विस्तृत अंचल 
रवि किरणों सा तेरा साथ प्रिय।

    श्वेता🍁



25 comments:

  1. बेहतरीन रचना
    मन को छूती हुई

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    1. बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी।

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  2. जीवन सिंधु की स्वाति बूँद
    तुम चिरजीवी मैं क्षणभंगुर,
    इस देह से परे मन बंधन में
    मादक कुसुमित तेरा साथ प्रिय।


    बहुत ही ख़ूबसूरत रचना। स्पंदित सम्मोहन जगाती कुसमित कलमकारी। वाह

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अमित जी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका विश्वमोहन जी।

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  4. शुभ संध्या
    आभार
    सादर

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    1. शुभ संध्या दी,
      खूब सारा आभार आपका।

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  5. वाह !
    समर्पण का सौम्यता से परिपूर्ण चित्रण।
    विकृत भावों के जलते परिवेश में हमारे एहसासों से गुज़रती एक ठंडी फुहार-सी ख़ूबसूरत रचना।
    सौभाग्य और प्रेम के पर्व करवा चौथ की पूर्व संध्या पर एक-दूजे के लिए धड़कते दिलों को अनुपम उपहार है आपकी रचना।
    सुंदर सृजन।
    बधाई एवं शुभकामनाऐं।

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    1. अति आभार आपका रवींद्र जी।तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।

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  6. अव्यक्त व्यक्त भावों का गीत
    विस्मृत स्वप्नों के तुम मनमीत,
    कंटक से भरे जीवन पथ पर
    मृदु मोरपंखी तेरा साथ प्रिय।
    लाजवाब रचना....
    वाह!!!
    अद्भुत ,अविस्मरणीय....

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    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया बहुत सारा सुधा जी।
      आपकी सराहनीय पंक्तियाँ बहुत उत्साह बढ़ा गयी।

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  7. स्वर्ण मृग जग छलती माया में
    क्षण क्षण मिटती इस काया में,
    निशि कानन के विस्तृत अंचल
    रवि किरणों सा तेरा साथ प्रिय।
    वा...व्व..बहुत सुंदर लजबाब रचना!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति जी।तहेदिल से शुक्रिया बहुत सआरा।

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  8. अति सुंदर!प्रेम का सम्मोहक रूप. बहुत सुंदर वाक्य विन्यास. सादर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अपर्णा जी।तहेदिल से शुक्रिया।

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  9. श्वेता जी ऊपर दी गई‎ टिप्पणी में टंकण अशुद्धि हो गई‎ थी और एक त्रुटि को ठीक करने के फेर में दूसरी ..., कहना यही है कि रचना‎ बेहद खूबसूरत भाव संजोये है .😃

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    1. 😊😊जी ,आभार आपका मीना जी।तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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    1. बहुत आभार रितु जी।

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  11. मन को छूती हुई बेहतरीन रचना

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  12. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  13. प्रियतम को समर्पित प्रणय का अद्भुत गान !!!!!!!!
    अव्यक्त व्यक्त भावों का गीत
    विस्मृत स्वप्नों के तुम मनमीत,
    कंटक से भरे जीवन पथ पर
    मृदु मोरपंखी तेरा साथ प्रिय।---
    बहुत ही प्यारी रचना श्वेता बहन | मेरा प्यार बस !!

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  14. वाह श्वेता जी ! मन को मोरपंखी सा छूकर आल्हादित करती बहुत ही कोमल स्निग्ध रचना ! अति सुन्दर !

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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