Sunday 31 December 2017

नववर्ष

रात की बोझिल उदासी को
किरणों की मुस्कान से खोलता
शीत का दुशाला ओढ़े
क्षितिज के झरोखे से झाँकता
बादलों के पंख पर उड़कर
हौले-हौले पर्वत शिखाओं को
चूमकर पाँव फैला रहा है
हवाओं में जाफरानी खुशबू घोलकर
पेड़ों,फूलों पर तितली सा मँडरा रहा है
पोखर, नदी,झील के आँचल में
चिड़ियों सा चहचहा रहा है
मंजुल प्रकाश भर भर कर
गाँव, शहर,बस्तियों में
पंखुड़ियों सा बिखर जा रहा है
वसुधा के प्रांगण में
करने को नवीन परिवर्त्तन
जन-जन की आँखों में
मख़मली उम्मीदों के 
बंदनवार सजाकर
आत्ममुग्ध स्वच्छ शुचि उद्गम् ले
नववर्ष मनभावन 
आशाओं की किरणों का
हाथ थामकर स्मित मुस्कुराता
चला आ रहा है।

        #श्वेता🍁

15 comments:

  1. वाह, बहुत खूब श्वेता जी. आपको नव वर्ष की अग्रिम बधाई

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  2. खूबसूरत विदाई तोहफा जाते हुए साल को आपकी कृलम द्वारा... बहुत खूबसूरत लिखा..... शुभकामनाएं ।

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  3. नव वर्ष की असीम शुभकामनाओं सहित बधाई आदरणीय श्वेता जी

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  4. खुबसूरत रचना ! शुभकामनाएँ नव -वर्ष की :)

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  5. शुभ संध्या बहना....
    बढ़िया लिखे...
    शुभकामनाएँ..
    सादर.......

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  6. बहुत सुन्दर .., नववर्ष की हार्दिक शुभ‎कामनाएँ श्वेता जी .

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  7. वाह ! क्या बात है ! खूबसूरत प्रस्तुति ! लाजवाब !! बहुत खूब आदरणीया ।
    नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।

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  8. नव वर्ष के स्वागत में मंत्रमुग्ध करती रचना.
    नव वर्ष की शुभकामनायें.

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  9. खूबसूरत प्रस्तुति नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ श्वेता जी:(

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  10. वाह!!खूबसूरत रचना। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  11. Happy New year mam

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  12. ख़ूबसूरत शब्दावली में नव वर्ष का स्वागत करती बेहतरीन रचना।
    नव वर्ष मंगलमय हो।

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  13. वाह
    बेहद खूबसूरत सृजन
    शुभकामनाएँ
    सादर

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  14. आशा का संचार करती मनभावन नव वर्ष का भाव लिए ...
    सुंदर रचना

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  15. बहुत खूबसूरत रचना

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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