Friday, 2 February 2018

कोमल मन हूँ मैं


ज्योति मैं पूजा की पावन
गीतिका की छंद हूँ मैं
धरा गगन के मध्य फैली
एक क्षितिज निर्द्वन्द्व हूँ मैं

नभ के तारों में नहीं हूँ
ना चाँदनी का तन हूँ मैं
कमलनयन प्रियतम की मेरे
नयनों का उन्मन हूँ मैं

न ही तम में न मैं घन में
न मिलूँ मौसम के रंग में
पाषाण मोम बन के बहे
वो मीत कोमल मन हूँ मैं

जो छू ना पाये हिय तेरा
वो गीत बनकर क्या करूँ
चिर सुहागन प्रीति पथ में
अमिट रहे वो क्षण हूँ मैं

     #श्वेता🍁

20 comments:

  1. खूबसूरत पंक्तियाँ -
    जो छू ना पाये हिय तेरा
    वो गीत बनकर क्या करूँ
    चिर सुहागन प्रीति पथ में
    अमिट रहे वो क्षण हूँ मैं !

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी।
      आपकी त्वरित प्रतिक्रिया बहुत अच्छी लगी।
      आपके स्नेह की सदैव आकांक्षी हूँ।
      हृदयतल से शुक्रिया आपका।

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  2. कमलनयन प्रियतम की मेरे
    नयनों का उन्मन हूँ मैं
    चिर सुहागन प्रीति पथ में
    अमिट रहे वो क्षण हूँ मैं--
    हृदयस्पर्शी अनुराग से भरे भावों से सजी रचना --जिसमें कोई आपका हाथ नहीं पकड सकता -- प्रिय श्वेता बहन | मन छू गयी सुंदर रचना --- मेरा प्यार --

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  3. क्या कहूँ, निःशब्द हूँ मैं!!!

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  4. कोमल मन! प्रियतम की नयनों का उन्मन ।।।।
    सुंदर रचना👌

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  5. बहुत सुंदर
    बेहतरीन

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  6. प्रस्तुति के प्रवाह में बह गई मै श्वेता!!
    गीत के भाव में देखूँ तो हृदय की तृषा को संतृप्तकारी बहाव रससिक्त करता है. हृदय की पूर्णता को जितने आयाम मिले हैं, वे सभी सर्व समाही हैं
    संभाव्य का सुन्दर चित्रण।
    असाधारण अतुलनीय।

     

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  7. वाह!!!! शानदार।जानदार।लाजवाब

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  8. अतुलनीय, अप्रतिम। अतिसुन्दर भावों का दर्पण । मनमोहनी कविता ।
    सादर

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  9. वाह!!अति सुंंदर भावों से युक्त ...मन मोह गई।

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  10. कोमल मन की नज़ाकत से परिपूर्ण मोहक अभिव्यक्ति. हृदयस्पर्शी सृजन की ख़ासियत है कि वह सबको अपना लगने लगता है और उसे महसूस किया जाने लगता है.
    बधाई एवं शुभकामनायें आदरणीया श्वेता जी....लिखते रहिये.

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  11. वाह!!!
    दिल में उतर गए
    आप के एक एक शब्द

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  12. लाजवाब भावाभिव्यक्ति श्वेता जी.

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  13. जो छू ना पाये हिय तेरा
    वो गीत बनकर क्या करूँ
    वाहवाह.....
    कमाल की रचना...अद्भुत, अतुलनीय,अविस्मरणीय ....
    लाजवाब...
    वाह!!!!

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  14. न ही तम में न मैं घन में
    न मिलूँ मौसम के रंग में
    पाषाण मोम बन के बहे
    वो मीत कोमल मन हूँ मैं।
    बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, स्वेता।

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  15. अति सुंंदर भावों से युक्त
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  16. आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/02/55.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

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  17. वाह
    बहुत सुंदर सृजन
    सादर

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  18. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 18 फरवरी 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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