Wednesday 4 July 2018

पल दो पल में


पल दो पल में ही ज़िदगी बदल जाती है।
ख़ुशी हथेली पर बर्फ़-सी पिघल जाती है।।

उम्र वक़्त की किताब थामे प्रश्न पूछती है,
जख़्म चुनते ये उम्र कैसे निकल जाती है।

दबी कोई चिंगारी होगी राख़ हुई याद में,
तन्हाई के शरारे में बेचैनी मचल जाती है।

सुबह जिन्हें साथ लिये उगती है पहलू में,
उनकी राह तकते हर शाम ढल जाती है।

ख़्वाहिश लबों पर खिलती है हँसी बनकर,
आँसू बन उम्मीद पलकों से फिसल जाती है।


    श्वेता सिन्हा

16 comments:

  1. ख़्वाहिश लबों पर खिलती है हँसी बनकर,
    आँसू बन उम्मीद पलकों से फिसल जाती है।

    बेहद खूबसूरत ग़ज़ल ..... पल दो पल में ही शब्दों का आवरण ओढ़ लिया है

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    1. बेहद आभार आपका संजय जी।
      बहुत दिनों बाद आपकी प्रतिक्रिया पाकर अच्छा लग रहा।
      तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।

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  2. विविध बिषयों पर प्रकाश डालती सुन्दर अभिव्यक्ति. रचना में आये शब्द "बेचैनियां" को बेचैनी लिखना उचित होगा.

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    1. जी ,सादर आभार आपका रवींद्र जी।
      जी,आपके मार्गदर्शन के लिए सदैव आभारी हैं हम। आपके द्वारा सुझाये संशोधन के लिए बहुत शुक्रिया।
      कृपया अपना आशीष बनाये रखें।

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  3. वाह!!श्वेता ..क्या बात है ...बहुत खूबसूरत ...!

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  4. सुबह जिन्हें साथ लिये उगती है पहलू में,
    उनकी राह तकते हर शाम ढल जाती है।

    ख़्वाहिश लबों पर खिलती है हँसी बनकर,
    आँसू बन उम्मीद पलकों से फिसल जाती है।
    बेहतरीन रचना श्वेता जी

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  5. जिन्दगी तो वास्तव में पल दो पल में ही बदल जाती हैं भावमय रचना

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  6. तन्हाई के शरारे मे बैचेनी मचल जाती है,
    सुभान अल्लाह!!
    भावों के मंच पर लफ्जों की जादूगरी....

    लरजते हाथ उठे कहकशां थामने को
    भीगो गये कुछ कतरे वफा ए दामन को।

    वाह वाह ।

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  7. दबी कोई चिंगारी होगी राख़ हुई याद में,
    तन्हाई के शरारे में बेचैनी मचल जाती है।
    बहुत खूबसूरत....., एक से बढ़ कर एक शेर , बहुत ही सुन्दर सृजन श्वेता जी ।

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  8. वाह बहुत ख़ूब

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  9. बहुत उम्दा शेर
    बेहतरीन अशआर

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  10. वाह!!! क्या बात है। बहुत खूबसूरत रचना लिखी आप ने। बस दिल खुश हो गया। लाजवाब

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  11. वा...व्व...श्वेता! बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।

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  12. आँसू बैन कर उम्मीद पिघल जाती है ...
    बहुत महावन शेर ... मटके का शेर भी बेमिसाल है ... नए अन्दाज़ में बाख़ूबी अपनी बात रखते हुए ...

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  13. बहुत सुंदर श्वेता दी

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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