दर्दे दिल की अजब कहानी है
होंठों पर मुस्कां आँखों में पानी है
जिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
उस राजा की कोई और रानी है
रात कटती है यूँ रोते च़रागों की
ज्यों बाती ने ख़ुदकुशी की ठानी है
दर्द,ग़म,तड़प,अश्क और रूसवाई,
इश्क़ ने जहाँभर की खाक़ छानी है
बेहया दिल टूटकर भी धड़कता है
ज़िंदा लाशों की ये तो बदज़ुबानी है
-श्वेता सिन्हा
गुमगश्ता= भटकता हुआ, खोया हुआ
वाह्ह्ह!
ReplyDeleteनशेमन शीशे का क्यों बनाते हो बेताबियों मे
कुछ भी न बच पायेगा पत्थर की सजाओंं मे
वाह्ह्ह... बेहतरीन... बहुत सुंदर अशआर..👌
Deleteरात कटती है यूँ रोते च़रागों की
ReplyDeleteज्यों बाती ने ख़ुदकुशी की ठानी है वाह बहुत ही बेहतरीन रचना
सादर आभार अनुराधा जी...बेहद शुक्रिया आपका।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/01/2019 की बुलेटिन, " अख़बार की विशेषता - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआभारी हूँ आदरणीय..बेहद शुक्रिया मेरी रचना को मान देने के लिए।
Deleteजिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
ReplyDeleteउस राजा की कोई और रानी है
रात कटती है यूँ रोते च़रागों की
ज्यों बाती ने ख़ुदकुशी की ठानी है!!!
क्या बात है प्रिय श्वेता ! नये मिजाज़ के शेर मन को छू गये | मेरी ढेरों शुभकामनायें और प्यार |
बहुत आभारी हूँ दी...दिल.से बहुत शुक्रिया आपका।
DeleteBahut khoob.
ReplyDeleteआभारी हूँ अर्चना जी..शुक्रिया आपका।
Deleteबहुत खूब.....,मर्मस्पर्शी ...,अत्यन्त सुन्दर ।
ReplyDeleteबैहद आभारी हूँ मीना झी..सस्नेह बहुत शुक्रिया आपका।
Deleteआहाहा ...जिंदाबाद
ReplyDeleteजज्बात जज़्बात और केवल जज़्बात
बेहद आला दर्जे की गजल हुई ये।
बदजुबानी का बेहतरी इस्तेमाल हुआ है
ग़ालिब के चंद शेर याद आये आपकी गजल पढ़ कर कि
दिले नादां तुझे हुआ क्या है आखिर इस दर्द की दवा क्या है
हमको उनसे उफा की है उम्मीद जो नहीं जानते है वफ़ा क्या है।
फिर तेरे कूचे को जाता है ख्याल
दिले गुमगस्ता मगर याद आया।
खुश रहें स्वस्थ रहें।
लिखते रहें।
रोहित जी आपकी विस्तृत विश्लेषात्मक प्रतिक्रिया सदैव.विशेष होती है।
Deleteबहुत सुंदर शेर लिखा है आपने
फिर तेरे कूचे को जाता है ख्याल
दिले गुमगस्ता मगर याद आया।
वाह्ह्ह👌
आभारी हूँ...बेहद शुक्रिया आपका।
आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 12 जनवरी 2019को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबेहद आभारी हूँ दी...दिल से बहुत शुक्रिया।
Deleteयूँ ही दिल ने चाहा था, रोना रुलाना
ReplyDeleteतेरी याद तो बन गई एक बहाना....बहुत खूब:)
वाह्ह्ह.. बहुत खूब 👌👌
Deleteआभारी हूँ संजय जी..बेहद.शुक्रिया आपका।
वाह! वाह!! और सिर्फ वाह!!!
ReplyDeleteआभार आभार और बहुत सारा आभार आपका विश्वमोहन जी...हृदयतल से बहुत शुक्रिया।
Deleteश्वेता जी,
ReplyDeleteबहुत सुंदर.
जी आभारी हूँ सर...आपका आशीष मिला...बहुत शुक्रिया।
Deleteवाह!!वाह!!श्वेता ,बहुत खूब!!!
ReplyDeleteआभारी हूँ शुभा दी...बेहद शुक्रिया आपका।
Deleteजिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
ReplyDeleteउस राजा की कोई और रानी है...
श्वेता, टूटे दिल की व्यथा बहुत ही खुबसुरत शब्दों में बयां की आपने।
आभारी हूँ आधरणीया ज्योति जी..बहुत शुक्रिया आपका।स्नेह बना रहे।
DeleteVery good ....., touching ..., very beautiful. The words of the new mood touched the mind. My best wishes.
ReplyDeleteThanku so much chandra...Thanks for all ur precious wishes.
Deleteबेहया दिल टूटकर भी धड़कता है
ReplyDeleteज़िंदा लाशों की ये तो बदज़ुबानी है.....
वाह!!! बहुत खूब... सखी लाजबाब
बहुत आभारी हूँ कामिनी जी...बेहद शुक्रिया आपका।
Deleteवाह !श्वेता जी बहुत ख़ूब 👌
ReplyDeleteसादर
बेहद आभारी हूँ अनिता जी...सनेह शुक्रिया आपका।
Deleteइश्क ने जहाँ भर की ख़ाक छानी है ...
ReplyDeleteवाह ... हर शेर बहुत ही कमाल का है ... बाखूबी अंजाम दिया है इस ग़ज़ल को ...
बेहद आभारी हूँ नासवा जी...बहुत शुक्रिया आपका।
Deleteजिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
ReplyDeleteउस राजा की कोई और रानी है
बेहतरीन अशआर,
शब्दो का दिलकश इस्तेमाल किया हैं भावनाये व्यक्त करने के लिये।
सादर आभार डॉ.साहब...बहुत शुक्रिया आपका।
Deleteजिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
ReplyDeleteउस राजा की कोई और रानी है.....मर्मभेदी .....लाजवाब ....
आभारी हूँ रवींद्र जी...बेहद शुक्रिया आपका।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 29 एप्रिल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteदर्द,ग़म,तड़प,अश्क और रूसवाई,
ReplyDeleteइश्क़ ने जहाँभर की खाक़ छानी है
वाह!!!!
निःशब्द हूँ बहुत ही लाजवाब ...बस लाजवाब!!!