Wednesday 9 January 2019

दर्दे दिल...

दर्दे  दिल  की अजब  कहानी  है
होंठों पर मुस्कां आँखों में पानी है

जिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
उस राजा की  कोई और  रानी  है

रात कटती है  यूँ  रोते च़रागों की
ज्यों बाती ने ख़ुदकुशी की ठानी है

दर्द,ग़म,तड़प,अश्क और रूसवाई,
इश्क़ ने जहाँभर की खाक़ छानी है

बेहया दिल टूटकर भी धड़कता है
ज़िंदा लाशों की ये तो बदज़ुबानी है


-श्वेता सिन्हा

गुमगश्ता= भटकता हुआ, खोया हुआ





41 comments:

  1. वाह्ह्ह!

    नशेमन शीशे का क्यों बनाते हो बेताबियों मे
    कुछ भी न बच पायेगा पत्थर की सजाओंं मे

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    1. वाह्ह्ह... बेहतरीन... बहुत सुंदर अशआर..👌

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  2. रात कटती है यूँ रोते च़रागों की
    ज्यों बाती ने ख़ुदकुशी की ठानी है वाह बहुत ही बेहतरीन रचना

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  3. सादर आभार अनुराधा जी...बेहद शुक्रिया आपका।

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/01/2019 की बुलेटिन, " अख़बार की विशेषता - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    1. आभारी हूँ आदरणीय..बेहद शुक्रिया मेरी रचना को मान देने के लिए।

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  5. जिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
    उस राजा की कोई और रानी है
    रात कटती है यूँ रोते च़रागों की
    ज्यों बाती ने ख़ुदकुशी की ठानी है!!!
    क्या बात है प्रिय श्वेता ! नये मिजाज़ के शेर मन को छू गये | मेरी ढेरों शुभकामनायें और प्यार |

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    1. बहुत आभारी हूँ दी...दिल.से बहुत शुक्रिया आपका।

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    1. आभारी हूँ अर्चना जी..शुक्रिया आपका।

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  7. बहुत खूब.....,मर्मस्पर्शी ...,अत्यन्त सुन्दर ।

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    1. बैहद आभारी हूँ मीना झी..सस्नेह बहुत शुक्रिया आपका।

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  8. आहाहा ...जिंदाबाद

    जज्बात जज़्बात और केवल जज़्बात
    बेहद आला दर्जे की गजल हुई ये।

    बदजुबानी का बेहतरी इस्तेमाल हुआ है

    ग़ालिब के चंद शेर याद आये आपकी गजल पढ़ कर कि

    दिले नादां तुझे हुआ क्या है आखिर इस दर्द की दवा क्या है
    हमको उनसे उफा की है उम्मीद जो नहीं जानते है वफ़ा क्या है।

    फिर तेरे कूचे को जाता है ख्याल
    दिले गुमगस्ता मगर याद आया।

    खुश रहें स्वस्थ रहें।
    लिखते रहें।

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    1. रोहित जी आपकी विस्तृत विश्लेषात्मक प्रतिक्रिया सदैव.विशेष होती है।
      बहुत सुंदर शेर लिखा है आपने

      फिर तेरे कूचे को जाता है ख्याल
      दिले गुमगस्ता मगर याद आया।
      वाह्ह्ह👌
      आभारी हूँ...बेहद शुक्रिया आपका।

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  9. आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 12 जनवरी 2019को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बेहद आभारी हूँ दी...दिल से बहुत शुक्रिया।

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  10. यूँ ही दिल ने चाहा था, रोना रुलाना
    तेरी याद तो बन गई एक बहाना....बहुत खूब:)

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    1. वाह्ह्ह.. बहुत खूब 👌👌
      आभारी हूँ संजय जी..बेहद.शुक्रिया आपका।

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  11. वाह! वाह!! और सिर्फ वाह!!!

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    1. आभार आभार और बहुत सारा आभार आपका विश्वमोहन जी...हृदयतल से बहुत शुक्रिया।

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  12. श्वेता जी,
    बहुत सुंदर.

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    1. जी आभारी हूँ सर...आपका आशीष मिला...बहुत शुक्रिया।

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  13. वाह!!वाह!!श्वेता ,बहुत खूब!!!

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    1. आभारी हूँ शुभा दी...बेहद शुक्रिया आपका।

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  14. जिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
    उस राजा की कोई और रानी है...
    श्वेता, टूटे दिल की व्यथा बहुत ही खुबसुरत शब्दों में बयां की आपने।

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    1. आभारी हूँ आधरणीया ज्योति जी..बहुत शुक्रिया आपका।स्नेह बना रहे।

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  15. Very good ....., touching ..., very beautiful. The words of the new mood touched the mind. My best wishes.

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    1. Thanku so much chandra...Thanks for all ur precious wishes.

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  16. बेहया दिल टूटकर भी धड़कता है
    ज़िंदा लाशों की ये तो बदज़ुबानी है.....
    वाह!!! बहुत खूब... सखी लाजबाब

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    1. बहुत आभारी हूँ कामिनी जी...बेहद शुक्रिया आपका।

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  17. वाह !श्वेता जी बहुत ख़ूब 👌
    सादर

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    1. बेहद आभारी हूँ अनिता जी...सनेह शुक्रिया आपका।

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  18. इश्क ने जहाँ भर की ख़ाक छानी है ...
    वाह ... हर शेर बहुत ही कमाल का है ... बाखूबी अंजाम दिया है इस ग़ज़ल को ...

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    1. बेहद आभारी हूँ नासवा जी...बहुत शुक्रिया आपका।

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  19. जिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
    उस राजा की कोई और रानी है

    बेहतरीन अशआर,
    शब्दो का दिलकश इस्तेमाल किया हैं भावनाये व्यक्त करने के लिये।

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    1. सादर आभार डॉ.साहब...बहुत शुक्रिया आपका।

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  20. जिनकी ख़्वाहिश में गुमगश्ता हुये
    उस राजा की कोई और रानी है.....मर्मभेदी .....लाजवाब ....

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    1. आभारी हूँ रवींद्र जी...बेहद शुक्रिया आपका।

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  21. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 29 एप्रिल 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  22. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  23. दर्द,ग़म,तड़प,अश्क और रूसवाई,
    इश्क़ ने जहाँभर की खाक़ छानी है
    वाह!!!!
    निःशब्द हूँ बहुत ही लाजवाब ...बस लाजवाब!!!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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