नक़्श आँगन के अजनबी,कहें सदायें सुन
हब्स रेज़ा-रेज़ा पसरा,सीली हैं हवायें सुन
धड़कन-फड़कन,आहट,आहें दीद-ए-नमनाक
दिल के अफ़सानें में, मिलती हैं यही सज़ाएं सुन
सुन मुझ पे न मरक़ूज कर नज़रें अपनी
ख़ाली हैं एहसास दिल की साएं-साएं सुन
ना छेड़ पत्थरों में कैद लाल मक़बरे को
फिर जाग उठेंगीं, सोयी हुईं बलायें सुन
मैं अपनी पलकों से चुन लूँ सारे ग़म तेरे
तू जीस्त-ए-सफ़र में, मेरी पाक दुआएँ सुन
#श्वेता सिन्हा
नक़्श-चिह्न
हब्स -घुटन
रेज़ा-रेज़ा-कण-कण
दीद-ए-नमनाक-गीले नेत्
मरक़ूज-केंद्रित
जीस्त-ज़िंदगी
धड़कन-फड़कन,आहट,आहें दीद-ए-नमनाक
ReplyDeleteदिल के अफ़सानें में, मिलती हैं यही सज़ाएं सुन
वाह..., बहुत खूब..., बेहतरीन ..।
वाह, वाह!!!!!👌👌👌👌बहुत खूब!!
ReplyDeleteपैगाम तो उम्दा है।
ReplyDeleteकाश! अंतरिम बजट पेश करते समय हमारे रहनुमाओं तक भी यह पहुँच जाता। वैसे छोटे किसानों और बूढ़े श्रमिकों पर डोरा डाला गया है। परंतु बेचारे नौजवान फिर ठन ठन गोपाल रहें।
बेरोजगारी में वे तो यही कह रहे हैं आज-
खाली हैं एहसास दिल की साएं-साएं,सुन..
प्रणाम।
"मैं अपनी पलकों से चुन लूँ सारे ग़म तेरे
ReplyDeleteतू जीस्त-ए-सफ़र में,पाक मेरी दुआएँ,सुन"
वाह आदरणीया दीदी जी बहुत सुंदर...लाजवाब पंक्तिया 👌
सादर नमन
ना छेड़ पत्थरों में कैद लाल मक़बरे को
ReplyDeleteफिर जाग उठेंगीं, सोयी पड़ी हैं बलायें सुन
वाह लाज़वाब कलाम हैं।
भई वाह
मैं अपनी पलकों से चुन लूँ सारे ग़म तेरे
ReplyDeleteतू जीस्त-ए-सफ़र में,पाक मेरी दुआएँ सुन
क्या तारीफ करू स्वेता जी ,बस दिल से वाह -वाह निकलती है ,लाजबाब ,स्नेह सखी
Beautiful composition, its beauty can not be expressed in Words. Only words coming from corner of heart waah Waah. Keep Writing.
ReplyDeleteमैं अपनी पलकों से चुन लूँ सारे ग़म तेरे
ReplyDeleteतू जीस्त-ए-सफ़र में,पाक मेरी दुआएँ सुन बहुत ही बेहतरीन 👌👌
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/02/107.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteसराहना के शब्दों की सीमा के पार!!!
ReplyDeleteवाह क्या बात है ...
ReplyDeleteहिंदी के साथ उर्दू के शब्दों पर ही भरपूर नियंत्रण ... अच्छे शेर हैं सभी ...
ऐसे में उर्दू के शब्दों का मतलब भी लिखेंगे तो कई पाठकों का फायदा होगा ...
बहुत सुंदर शेर..श्वेता जी।
ReplyDeleteमैं अपनी पलकों से चुन लूँ सारे ग़म तेरे
तू जीस्त-ए-सफ़र में, मेरी पाक दुआएँ,सुन!!!!!!!!!!!
रूहानी प्यार को समर्पित सुंदर रचना प्रिय श्वेता | शब्दों की कलात्मकता देखते ही बनती है | बहुत - बहुत शुभकामनायें और मेरा प्यार |
सुंदर प्रस्तुति। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteदिल के अफ़सानें में, मिलती हैं यही सज़ाएं सुन
ReplyDelete....बहुत खूब
बहुत उम्दा श्वेता¡
ReplyDeleteबहुत गहरे भाव लिये कोमल एहसासों वाले अस्आर हर शेर लाजवाब बेहतरीन।
बहुत खूब
ReplyDeleteसहज सुन्दर रचना
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