Tuesday, 5 February 2019

विश्लेषण



कभी सोचा न हो तो

सोचना जरूर
बहुत ज्यादा विश्लेषण
छानबीन करती नजरें
जरूरत से ज्यादा जागरुकता
कहीं खत्म न कर दे
आपके प्रिय संबंधों की
आत्मीयता
क्या ये सच नहीं कि
बातों ही बातों में
कभी अलमस्ती में
निभ जाते है
कई प्रगाढ़ रिश्ते
संबंध कोई मासिक किस्त
तो नहीं न
जो समय पर न भरो
तो फायदा न मिलेगा
कुछ बातें जो चुभती हो
किसी अपने की
कभी उनको नजरअंदाज़
कर मुसकुरा दो
खिल उठेगे नये कोंपल
फिर से स्नेह के
बंधनों की किताब में
जरुरत से ज्यादा
गलतियाँ ढूँढ़ना
ख़तरनाक है
रिश्तों के लिए।
     #श्वेता


10 comments:

  1. कुछ रिश्ते बचाने के लिये हम अनेक संघर्ष करते हैं, सबकुछ समर्पण करते हैं, फिर भी वे फिसलते ही रहते हैं।
    जिंदगी भी अजब गजब रंग दिखलती है।
    सुंदर भावपूर्ण रचना।

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  2. छानबीन करती नजरें
    जरूरत से ज्यादा जागरुकता
    कहीं खत्म न कर दे
    आपके प्रिय संबंधों की....बहुत सुन्दर सखी
    सादर

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  4. बहुत खूब प्रिय श्वेता -- सचमुच रिश्ते उदारता से ही चलते हैं पैसे अथवा चींजों से नहीं | छिद्रान्वेषण एक मानसिक विकार है इससे बचना ही बेहतर है |समाज में इस तरह का चिन्तन देखकर बहुत मायूसी हो जाती है | हर इंसान गलती करता है | कोई भी सम्पूर्ण नहीं है | दूसरों को जैसा है वैसा स्वीकारने की कला ही सच्चे अर्थों में उद्दात भाव की परिचायक है और रिश्तों के लिए प्राणवायु है | सार्थक संदेश वाली बेहतरीन रचना पढकर बहुत संतोष हुआ |हार्दिक शुभकामनायें और मेरा प्यार |

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  5. बहुत खूब...लेकिन बहुत कठिन है आजकल रिश्तों को संभाले रखना...

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  6. बहुत सुंदर बात रचना के माध्यम से
    सार्थक सुंदर सुविचार।

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  7. कुछ बातें जो चुभती हो
    किसी अपने की
    कभी उनको नजरअंदाज़
    कर मुसकुरा दो
    खिल उठेगे नये कोंपल
    फिर से स्नेह के
    बिल्कुल सही हैं श्वेता दी। बहुत सुंदर।

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  8. बहुत ही बेहतरीन रचना

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  9. आज जब जरा जरा सी बात पर हर रिश्तों में दरार पड़ रही उस वक्त नजरअंदाज़ की अदा काफ़ी है रिश्तों को बचाने के लिए
    बेहद उम्दा संदेश दिया आपने आदरणीया दीदी जी
    सुंदर सार्थक रचना
    सादर नमन सुप्रभात

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  10. संबंध कोई मासिक किस्त
    तो नहीं न
    जो समय पर न भरो
    तो फायदा न मिलेगा.....वाह! बहुत सटीक!!!

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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