कभी सोचा न हो तो
सोचना जरूर
बहुत ज्यादा विश्लेषण
छानबीन करती नजरें
जरूरत से ज्यादा जागरुकता
कहीं खत्म न कर दे
आपके प्रिय संबंधों की
आत्मीयता
क्या ये सच नहीं कि
बातों ही बातों में
कभी अलमस्ती में
निभ जाते है
कई प्रगाढ़ रिश्ते
संबंध कोई मासिक किस्त
तो नहीं न
जो समय पर न भरो
तो फायदा न मिलेगा
कुछ बातें जो चुभती हो
किसी अपने की
कभी उनको नजरअंदाज़
कर मुसकुरा दो
खिल उठेगे नये कोंपल
फिर से स्नेह के
बंधनों की किताब में
जरुरत से ज्यादा
गलतियाँ ढूँढ़ना
ख़तरनाक है
रिश्तों के लिए।
#श्वेता
कुछ रिश्ते बचाने के लिये हम अनेक संघर्ष करते हैं, सबकुछ समर्पण करते हैं, फिर भी वे फिसलते ही रहते हैं।
ReplyDeleteजिंदगी भी अजब गजब रंग दिखलती है।
सुंदर भावपूर्ण रचना।
छानबीन करती नजरें
ReplyDeleteजरूरत से ज्यादा जागरुकता
कहीं खत्म न कर दे
आपके प्रिय संबंधों की....बहुत सुन्दर सखी
सादर
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत खूब प्रिय श्वेता -- सचमुच रिश्ते उदारता से ही चलते हैं पैसे अथवा चींजों से नहीं | छिद्रान्वेषण एक मानसिक विकार है इससे बचना ही बेहतर है |समाज में इस तरह का चिन्तन देखकर बहुत मायूसी हो जाती है | हर इंसान गलती करता है | कोई भी सम्पूर्ण नहीं है | दूसरों को जैसा है वैसा स्वीकारने की कला ही सच्चे अर्थों में उद्दात भाव की परिचायक है और रिश्तों के लिए प्राणवायु है | सार्थक संदेश वाली बेहतरीन रचना पढकर बहुत संतोष हुआ |हार्दिक शुभकामनायें और मेरा प्यार |
ReplyDeleteबहुत खूब...लेकिन बहुत कठिन है आजकल रिश्तों को संभाले रखना...
ReplyDeleteबहुत सुंदर बात रचना के माध्यम से
ReplyDeleteसार्थक सुंदर सुविचार।
कुछ बातें जो चुभती हो
ReplyDeleteकिसी अपने की
कभी उनको नजरअंदाज़
कर मुसकुरा दो
खिल उठेगे नये कोंपल
फिर से स्नेह के
बिल्कुल सही हैं श्वेता दी। बहुत सुंदर।
बहुत ही बेहतरीन रचना
ReplyDeleteआज जब जरा जरा सी बात पर हर रिश्तों में दरार पड़ रही उस वक्त नजरअंदाज़ की अदा काफ़ी है रिश्तों को बचाने के लिए
ReplyDeleteबेहद उम्दा संदेश दिया आपने आदरणीया दीदी जी
सुंदर सार्थक रचना
सादर नमन सुप्रभात
संबंध कोई मासिक किस्त
ReplyDeleteतो नहीं न
जो समय पर न भरो
तो फायदा न मिलेगा.....वाह! बहुत सटीक!!!