Wednesday 1 May 2019

मज़दूर



मज़दूर का नाम आते ही
एक छवि ज़ेहन में बनती है
दो बलिष्ठ भुजाएँ दो मज़बूत पाँव
 बिना चेहरे का एक धड़,
और एक पारंपरिक सोच,
बहुत मज़बूत होता है एक मज़दूर
कुछ भी असंभव नहीं
शारीरिक श्रम का कोई
भी काम सहज कर सकता है
यही सोचते हम सब,
हाड़ तोड़ मेहनत की मज़दूरी
के लिये मालिकों की जी-हुज़ूरी करते
पूरे दिन ख़ून-पसीना बहाकर
चंद रुपयों की तनख़्वाह
अपर्याप्त दिहाड़ी से संतुष्ट
जिससे साँसें खींचनेभर 
गुज़ारा होता है
उदास पत्नी,बिलखते बच्चे
बूढ़े माता-पिता का बोझ ढोते
जीने को मजबूर
एक ज़मीन को बहुमंजिला 
इमारतों में तब्दील करता
अनगिनत लोगों के ख़्वाबों 
की छत बनाता
मज़दूर,जिसके सर पर
मौसम की मार से बचने को
टूटा छप्पर होता है
गली-मुहल्ले,शहरों को
क्लीन सिटी बनाते
गटर साफ़ करते,कड़कती धूप में
सड़कों पर चारकोल उड़ेलते,
कल-कारखानों में हड्डियाँ गलाते  
सँकरी पाताल खदानों में
जान हथेली पर लिये 
अनवरत काम करते मज़दूर
अपने जीवन के कैनवास पर
छैनी-हथौड़ी,कुदाल,जेनी,तसला 
से कठोर रंग भरते,
सुबह से साँझ तक झुलसाते हैं,
स्वयं को कठोर परिश्रम की
आग में,ताकि पककर मिल सके
दो सूखी रोटियों की दिहाड़ी
का असीम सुख।


 #श्वेता सिन्हा


20 comments:

  1. श्रमिकों के सम्मान में सुन्दर प्रस्तुति

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  2. वाह!!श्वेता ,बेहतरीन !!👍

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  3. जदूरों को सम्पूर्ण जीवन चित्रण ,बहुत सुंदर और यथार्थ रचना स्वेता जी ,सादर स्नेह

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  4. श्रमिक दिवस पर बहुत बढ़िया कविता

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  5. श्रमिकों को उनका उचित सम्मान मिलना चाहिए श्रमिक दिवस पर बहुत प्रभावी और सशक्त प्रस्तुति

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  6. सुबह से साँझ तक झुलसाते है,
    स्वयं को कठोर परिश्रम की
    आग में,ताकि पककर मिल सके
    दो सूखी रोटियों की दिहाड़ी
    का असीम सुख।
    श्रमिकों को समर्पित प्रभावशाली सृजन ।

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. अनवरत काम करते मज़दूर
    अपने जीवन के कैनवास पर
    छेनी ,हथौड़ी,कुदाल,जेनी,तन्सला
    से कठोर रंग भरते,......श्रम-सीकर से सिक्त साधकों की साधना का सार्थक संगीत!!!! बधाई और आभार!!!!

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  9. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरूवार 2 मई 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  10. ब्लॉग बुलेटिन टीम और मेरी ओर से आप सब को मजदूर दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ !!

    ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 01/05/2019 की बुलेटिन, " १ मई - मजदूर दिवस - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  11. बहुत ही सुन्दर रचना प्रिय सखी
    सादर

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  12. बहुत ही बेहतरीन रचना

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  13. मजदूरों की स्थिति को दर्शाती सुंंदर रचना..

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  14. मजदूर को एवं उसके काम को जब तक इज्जत नहीं मिलती,उसके श्रम का उचित मोल नहीं मिलता, तब तक यही उसकी हालत रहने वाली है। भारत में एक सरकारी नौकरी करनेवाले प्रोफेसर को साठ हजार से एक लाख रुपए महीने वेतन मिलता है और कड़ी धूप में काम करते, अपने स्वास्थ्य से खेलकर देश का निर्माण करते मजदूरों एवं सफाई कर्मचारियों को प्रतिदिन पाँचसौ रुपए देना भी बहुत ज्यादा लगता है।

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  15. एक समय की चूल्हे की आग के लिये ये दिन रात आग में जलते हैं... बहुत सटीक और हृदय स्पर्शी चित्रण श्रमिकों का श्वेता बहुत सार्थक सृजन

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  16. मजदूर
    अपर्याप्त दिहाड़ी से संतुष्ट
    जिससे साँसें खींचनेभर
    गुज़ारा होता है
    उदास पत्नी,बिलखते बच्चे
    बूढ़े माता-पिता का बोझ ढोते
    जीने को मजबूर
    बहुत ही सटीक सार्थक हृदयस्पर्शी रचना...

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  17. बेहद सशक्त औऱ सटीक लिखा आपने 👍

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  18. मजदूर तो मजदूर है
    हर सुविधा से दूर है

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  19. बहुत बढ़िया कविता।

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  20. Very well described the life of labour on this day. Priceless rachna.

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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