चुप रहूँ तो शायद दिल तेरा ख़ुशलिबास हो
दुआ हर लम्हा,खुश रहे तू न कभी उदास हो
तुम बिन जू-ए-बेकरार,हर सिम्त तलब तेरी
करार आता नहीं,कैसी अनबुझी मेरी प्यास हो
आजा के ओढ़ लूँ ,तुझको चाँदनी की तरह
चाहती हूँ रुह मेरी तुमसे,रु-ब-रु बेलिबास हो
होगी तुम्हें शिकायत लाख़ मेरे महबूब सनम
दश्त-ए-ज़िंदगी में,तुम ही तो सब्ज़ घास हो
पिरोया है तुझे मोतियों-सा साँसों के तार में
ख़्वाहिश है वक़्त-ए-आख़िर तुम मेरे पास हो
#श्वेता सिन्हा
ख़ुशलिबास-सुंदर परिधान
जू-ए-बेकरार-बैचेन नदी
सब्ज़ - हरा-भरा
दश्त-ए-ज़िंदगी- ज़िंदगी के रेगिस्तान में
दश्त-ए-ज़िंदगी- ज़िंदगी के रेगिस्तान में
बहुत प्यारी रचना 👍
ReplyDeleteवैसे जीस्त-ए-रेगिस्तान मतलब ?(मेरी उर्दू कमजोर है ).
जी आभार दिल से बहुत शुक्रिया...।
Deleteजीस्त-ए-रेगिस्तान मतलब रेगिस्तान से जीवन में..।
बहुत सुंदर रूप पिरोया है भावों को।शावाश।
ReplyDeleteवाह बहुत खूब लिखा है आपने ।
ReplyDeleteवाह क्या खूब लिखा है
ReplyDeleteबहुत सुंदर 👌 👌🌹
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार मई 05 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह अनुपम भावों का संगम ...
ReplyDeleteआजा के ओढ़ लूँ ,तुझको चाँदनी की तरह
ReplyDeleteचाहती हूँ रुह मेरी तुमसे,रु-ब-रु बेलिबास हो
अप्रतिम भाव...बहुत ही लाजवाब...
वाह!!!
वाह प्यार में बिछ जाने का उद्धाम भाव समर्पित भावों के लाजवाब अश्आर हर शेर गहराई तक असरकरता सटीक, उम्दा।
ReplyDeleteवाह!!श्वेता ,अद्भुत !!
ReplyDeleteपिरोया है तुझे मोतियों-सा साँसों के तार में
ReplyDeleteख़्वाहिश है वक़्त-ए-आख़िर तुम मेरे पास हो
वाह !!! ,बहुत खूब स्वेता जी ,लाजबाब सादर नमस्कार
बहुत खूबसूरत शेर
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteखुश रहे तू न कभी उदास हो
ReplyDeleteदुआओं और ख्वाहिशों की अनुपम रचना
वाह
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteचुप रहूँ तो शायद दिल तेरा ख़ुशलिबास हो
ReplyDeleteदुआ हर लम्हा,खुश रहे तू न कभी उदास हो! बहुत खूब प्रिय श्वेता किसी खास के लिए दुआएं पिरोती रचना बहुत खास है | हार्दिक शुभकामनायें तुम्हारे लिए |
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह श्वेताजी ।
ReplyDeleteआप तो हमारे पास ही हैं !
शुक्र है !
बहुत खूबसूरत भावपूर्ण रचना...
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