कली केसरी पिचकारी
मन अबीर लपटायो,
सखि रे! गंध मतायो भीनी
राग फाग का छायो।
चटख कटोरी इंद्रधनुषी
वसन वसुधा रंगवायो,
सरसों पीली,नीली नदियाँ
सुमनों ने माँग सजायो।
कचनारी रतनारी डाली
लचक मटक इतरायो,
सारंग सुगंध सुधहीन भ्रमर
बाट बटोही बिसरायो।
सखि रे! गंध मतायो भीनी
राग फाग का छायो।
बाबरी कूहके अमराई
बँसवारी बिरवा अँखुआयो,
कली-कली मुँहजोर
ललित लास्य ललचायो।
उचक-उचक चूमे तितली
मदन मालती मुसकायो,
सिंदूरी किरणों के तीर
धरणी मुंदरी पहिनायो।
सखि रे! गंध मतायो भीनी
राग फाग का छायो।
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होलिका हुलस हुमकायो,
प्रीत भरी पिचकारी धार
मन के मैल छुड़ायो।
उत्सव उमंग मंगलमय
नेह कलश लुढकायो,
फागुनी रूनझुनी धुन पर
गीत-गोविंद मन गायो।
सखि रे! गंध मतायो भीनी
राग फाग का छायो ।
#श्वेता सिन्हा
(२७ मार्च २०२१)
मनस्वी के चित्रांकन के साथ-साथ आपकी रचना में गढ़े गए अतुल्य बिम्बों से सजे शब्दचित्र पाठक/पाठिकाओं को कोरोना की दुहराव वाली त्रासदी के बावज़ूद फागमय कर जा रहा है .. शायद ...
ReplyDeleteसबने मास्क लगा कर,
सेनेटाइजर में रंग घोल,
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ,
संग-संग फाग मनायो .. सखी री ! .. बस यूँ ही ... :)
प्यारा सन्देश समाज को -
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होलिका हुलस हुमकायो
प्रीत भरी पिचकारी धार
मन के मैल छुड़ायो ...👌👌👌
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 28 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह! बहुत खूबसूरत रचना।
ReplyDeleteकली केसरी पिचकारी
ReplyDeleteमन अबीर लपटायो
सखि रे! गंध मतायो भीनी
राग फाग का छायो
बहुत खूब प्रिय श्वेता 👌👌👌सुंदर शब्द लालित्य और अलंकारों से सुसज्जित मनोरम शब्द चित्र! और गुडू ने तो फागुनी रूत को चित्र में ढाल कमाल कर दिया। होली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्यार और चुटकी भर अबीर तुम्हारे लिए 🌹🌹❤❤
ब्लॉग जगत को माधुर्य के रंगों से सराबोर करनेवाली अतिसुंदर रचना के सृजन के लिए बधाई। बिटिया की कला निखार पर है। बहुत सुंदर चित्र बनाया है।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ सस्नेह।
वाहह!! श्वेता जी..मंत्रमुग्ध करती बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ।
मनमोहक रचना जो होली के रंग में सराबोर कर देती है । अभिनंदन तथा होली की हार्दिक शुभकामनाएं आपको ।
ReplyDeleteहर एक छंद बहुत ही खूबसूरती से रचा गया है,जीवन रंगों से सजी सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteवाह ! फागुन की मस्ती और रंगों की आभा बिखेरती सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteरंगों के महापर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सखि रे! गंध मतायो भीनी
ReplyDeleteराग फाग का छायो।...वाह! होली की शुभकामनाएँ
बेहद खूबसूरत रचना 👌
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएं श्वेता जी।
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteरंगों का त्योहार,🏵
लाए जीवन में बहार।🏵🏵🏵
सफलता👑 चूमें आपके द्वार
जगत में फैले कीर्ति अपार।।
स्वस्थता, प्रसन्नता,सौहार्दता लिए यह सौभाग्यशाली,पावन पर्व आपके एवं आपके परिवार में नित प्रेम का रंग फैलाए।
आपको सपरिवार रंग-बिरंगी होली की ढेरों शुभकामनाएँ।
💐💐💐
सधु चन्द्र
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ReplyDeleteहोलिका हुलस हुमकायो,
प्रीत भरी पिचकारी धार
मन के मैल छुड़ायो।
बहुत प्यारी रचना । हर छंद मन को पुलकित करता हुआ ।अलंकारों से परिपूर्ण रचना ।मनस्वी ने चित्र भी बहुत बढ़िया बनाया ।
शुभकामनाएँ
होली की हार्दिक शुभकामनाएं, सपरिवार स्वीकारें
ReplyDeleteआपकी इस छंदबद्ध रचना को पढ़ते समय
ReplyDeleteलगा कि हम भक्तिकाल और छायावाद के
के युग में छंद पढ़ रहे हैं
होली और उसके बिम्ब प्रतीक को बहुत
सुंदरता से इस होली गीत में पिरोया है
अद्भुत सृजन
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-3-21) को "कली केसरी पिचकारी"(चर्चा अंक-4021) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
एक बेहतरीन रचना
ReplyDeleteआपको होली की महापर्व पर हार्दिक बधाई परिवार सहित
वाह श्वेता !
ReplyDeleteसूरदास, रसखान और पद्माकर की परंपरा का तुम सुन्दर निर्वाह कर रही हो.
बेहतरीन रचना, बहुत ही खूबसूरत , हार्दिक बधाई हो श्वेता, अद्भुत, शुभ प्रभात
ReplyDeleteहोली के रँगों से सजी बेहतरीन रचना ...
ReplyDeleteअनोखे भाव पिरोये हैं आपने इस रचना में ... होली की बहुत बधाई ...
Very beautiful and Exclleent creation, with holi colors ...
ReplyDeleteYou have put unique expressions in this creation… Many congratulations of Holi…
सुन्दर लेखन...
ReplyDeleterangon-ki-baat
आदरणीया मैम,
ReplyDeleteदेर से प्रतिक्रिया के लिए क्षमा चाहती हूँ। मैं ने आपकी यह रचना होली के दो दिन पहले ही पढ़ ली थी। सच कहूँ तो आपकी इस रचना ने मेरा मन हर लिया। होली का उत्साह और उमंग लिए इतनी प्यारी कविता जो भक्तिकाल के कवियों का स्मरण कराती है।
वृन्दावन की होली की धूम और दिव्यता , भगवान श्री राधा-कृष्ण का प्रेम और उल्लास, मठिला की अमराई में अपनी सखियों के साथ खेलती माँ जानकी, सभी कुछ सजीव कर दिया आपने। इस सुंदर अत्यंत मधुर रचना के लिए हार्दिक आभार व आपको प्रणाम।
सखि रे! गंध मतायो भीनी
ReplyDeleteराग फाग का छायो।
वाह!!!
फाग के रंगों सी रंगीन मनभावन कृति।
बहुत बहुत सुन्दर मधुर
ReplyDeleteनि:शब्द!!!!
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