ख़ानाबदोश की प्रश्नवाचक यात्रा -सी
दर-ब-दर भटकती है ज़िंदगी
समय की बारिश के साथ
बहता रहता है उम्र का कच्चापन
देखे-अनदेखे पलों के ब्लैक बोर्ड पर
दर-ब-दर भटकती है ज़िंदगी
समय की बारिश के साथ
बहता रहता है उम्र का कच्चापन
देखे-अनदेखे पलों के ब्लैक बोर्ड पर
उकेरे
तितली,मछली,फूल, जंगल
चिड़िया,मौसम, हरियाली, नदी,
सपनीले चित्रों के पंख
अनायास ही पोंछ दी जाती है
बिछ जाती है
पैरों के नीचे
ख़ुरदरी , कँटीली पगडंड़ियाँ...
जिनपर दौडकर आकाश छूने की
तितली,मछली,फूल, जंगल
चिड़िया,मौसम, हरियाली, नदी,
सपनीले चित्रों के पंख
अनायास ही पोंछ दी जाती है
बिछ जाती है
पैरों के नीचे
ख़ुरदरी , कँटीली पगडंड़ियाँ...
जिनपर दौडकर आकाश छूने की
लालसा में ख़ुद को
भुलाये बस भागती
रहती है ज़िंदगी...।
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भुलाये बस भागती
रहती है ज़िंदगी...।
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-श्वेता
भागना जरूरी है रुकने से बेहतर l सुन्दर l
ReplyDeleteआकाश को छूने की लालसा बनी रहे तो और क्या चाहिए ज़िंदगी को, अंततः हर बाधा एक सीढ़ी बन जाती है, सुंदर सृजन !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 18 मई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteज़िन्दगी इसी का नाम है ...
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