बलखाती
साँस की ताल पर
अधरों के राग पर
हौले-हौले थिरकती
सुख-दुख की छेनी और
समय की हथौड़ी के
प्रहार से बनी
महीन, गहरी,
कलात्मक कलाकृतियाँ,
जीवन के पृष्ठों पर
बोली-अबोली
कहानियों की गवाह,
अनुभव का
इतिहास बताती
चेहरे के कैनवास पर
पड़ी स्थायी सलवटें,
जिन्हें छूकर
असंख्य एहसास
हृदय के छिद्रों से
रिसने लगते हैं,
पीढ़ियों की गाथाएँ
हैं लिपिबद्ध
धुँधली आँखों से
झरते सपनों को
पोपली उदास घाटियों में समेटे
उम्र की तीलियों का
हिसाब करते
जीवन से लड़ते
थके चेहरों के
खूबसूरत मुखौटे उतार कर
यथार्थ से
परिचय करवाती हैं
झुर्रियाँ।
#श्वेता सिन्हा
"विह्वल हृदय धारा" साझा काव्य संकलन पुस्तक
में प्रकशित।
"विह्वल हृदय धारा" साझा काव्य संकलन पुस्तक
में प्रकशित।