लिखकर तहरीरें खत में तेरा पता ढूँढ़ने चले है
कभी तो तुमसे जा मिले वो रास्ता ढ़ूँढ़ने चले है
सफर का सिलसिला बिन मंजिलों का हो गया
तुम नही हो ज़िदगी जिसमें वास्ता ढूँढ़ने चले है
चीखती है खामोशियाँ तन्हाई में तेरी सदाएँ है
जाने कब खत्म हो दर्द की इंतिहा ढूँढ़ने चले है
बेरूखी की साज़ पर प्रेम धुन बज नही सकती
चोट खाकर इश्क का फलसफा ढूँढ़ने चले है
#श्वेता🍁
कभी तो तुमसे जा मिले वो रास्ता ढ़ूँढ़ने चले है
सफर का सिलसिला बिन मंजिलों का हो गया
तुम नही हो ज़िदगी जिसमें वास्ता ढूँढ़ने चले है
चीखती है खामोशियाँ तन्हाई में तेरी सदाएँ है
जाने कब खत्म हो दर्द की इंतिहा ढूँढ़ने चले है
बेरूखी की साज़ पर प्रेम धुन बज नही सकती
चोट खाकर इश्क का फलसफा ढूँढ़ने चले है
#श्वेता🍁