Tuesday 21 February 2017

ढूँढ़ने चले हैं

लिखकर तहरीरें  खत में तेरा पता ढूँढ़ने चले है
कभी तो  तुमसे जा मिले वो रास्ता ढ़ूँढ़ने चले है

सफर का सिलसिला बिन मंजिलों का हो गया
तुम नही हो ज़िदगी जिसमें  वास्ता ढूँढ़ने चले है

चीखती है खामोशियाँ तन्हाई में तेरी सदाएँ है
जाने कब खत्म हो दर्द की  इंतिहा ढूँढ़ने चले है

बेरूखी की साज़ पर प्रेम धुन बज नही सकती
चोट खाकर इश्क का फलसफा ढूँढ़ने चले है

  #श्वेता🍁

11 comments:

  1. वियोग पर आधारित रचनाओं की खोज में आपकी रचना "ढूँढ़ने" मिली। आगामी गुरूवार 27 जुलाई 2017 को प्रकाशित होने जा रहा "पाँच लिंकों का आनंद" http://halchalwith5links.blogspot.in का 741 वां अंक वियोग आधारित रचनाओं का संकलन है।
    इस अंक में प्रकाशन हेतु आपकी लिखी यह रचना लिंक की जा रही है। चर्चा में शामिल होने के लिए अवश्य आइयेगा ,आप सादर आमंत्रित हैं। सधन्यवाद।

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    1. आप अपनी किसी और रचना का सुझाव अथवा 26 -07 -2017 सांयकाल 5 बजे तक सद्य-रचित रचना का लिंक दे सकती हैं। सधन्यवाद।

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    2. बहुत बहुत आभार आपका रवींद्र जी।

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  2. दिल को छूते कोमल भाव. सुन्दर कविता है.

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    1. बहुत आभार शुक्रिया आपका तुषार जी।

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  3. बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत शुक्रिया आभार आपका लोकेश जी

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  4. आपका हार्दिक आभार सुशील जी।

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  6. सफर का सिलसिला बिन मंजिलों का हो गया
    तुम नही हो ज़िदगी जिसमें वास्ता ढूँढ़ने चले है
    बेहद उम्दा रचना... वाह

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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