लिखकर तहरीरें खत में तेरा पता ढूँढ़ने चले है
कभी तो तुमसे जा मिले वो रास्ता ढ़ूँढ़ने चले है
सफर का सिलसिला बिन मंजिलों का हो गया
तुम नही हो ज़िदगी जिसमें वास्ता ढूँढ़ने चले है
चीखती है खामोशियाँ तन्हाई में तेरी सदाएँ है
जाने कब खत्म हो दर्द की इंतिहा ढूँढ़ने चले है
बेरूखी की साज़ पर प्रेम धुन बज नही सकती
चोट खाकर इश्क का फलसफा ढूँढ़ने चले है
#श्वेता🍁
कभी तो तुमसे जा मिले वो रास्ता ढ़ूँढ़ने चले है
सफर का सिलसिला बिन मंजिलों का हो गया
तुम नही हो ज़िदगी जिसमें वास्ता ढूँढ़ने चले है
चीखती है खामोशियाँ तन्हाई में तेरी सदाएँ है
जाने कब खत्म हो दर्द की इंतिहा ढूँढ़ने चले है
बेरूखी की साज़ पर प्रेम धुन बज नही सकती
चोट खाकर इश्क का फलसफा ढूँढ़ने चले है
#श्वेता🍁
वियोग पर आधारित रचनाओं की खोज में आपकी रचना "ढूँढ़ने" मिली। आगामी गुरूवार 27 जुलाई 2017 को प्रकाशित होने जा रहा "पाँच लिंकों का आनंद" http://halchalwith5links.blogspot.in का 741 वां अंक वियोग आधारित रचनाओं का संकलन है।
ReplyDeleteइस अंक में प्रकाशन हेतु आपकी लिखी यह रचना लिंक की जा रही है। चर्चा में शामिल होने के लिए अवश्य आइयेगा ,आप सादर आमंत्रित हैं। सधन्यवाद।
आप अपनी किसी और रचना का सुझाव अथवा 26 -07 -2017 सांयकाल 5 बजे तक सद्य-रचित रचना का लिंक दे सकती हैं। सधन्यवाद।
Deleteबहुत बहुत आभार आपका रवींद्र जी।
Deleteदिल को छूते कोमल भाव. सुन्दर कविता है.
ReplyDeleteबहुत आभार शुक्रिया आपका तुषार जी।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आभार आपका लोकेश जी
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार सुशील जी।
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