Tuesday, 21 February 2017

पलाश

पिघल रही सर्दियाँ
झरते वृक्षों के पात
निर्जन वन के दामन में
खिलने लगे पलाश

सुंदरता बिखरी चहुँओर
चटख रंग उतरे घर आँगन
उमंग की चली फागुनी बयार
लदे वृक्ष भरे फूल पलाश


सिंदूरी रंग साँझ के रंग
मल गये नरम कपोल
तन ओढ़े रेशमी चुनर
केसरी फूल पलाश

आमों की डाली पे कूके
कोयलिया विरहा राग
अकुलाहट भरे पीर उठे
मन में बिखरने लगे पलाश

गंधहीन पुष्पों की बहारें
मृत अनुभूति के वन में
दावानल सा भ्रमित होता
मन बन गया फूल पलाश


       #श्वेता🍁

14 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना सखी
    सादर

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  3. कालिदास का वसंत-वर्णन पढ़ पाना हमारे बस में नहीं है पर ब्रजभाषा में देव, सेनापति और पद्माकर का वसंत-वर्णन पढ़ा था, निराला को भी पढ़ा और अब श्वेता तुमको भी. आनंद व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द कम पड़ रहे हैं.

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  4. बहुत ही सुन्दर पलाश सी खूबसूरत रचना...
    वाह!!!

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  5. आपकी लिखी रचना सोमवार 28 नवम्बर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  6. गंधहीन पुष्पों की बहारें
    मृत अनुभूति के वन में
    दावानल सा भ्रमित होता
    मन बन गया फूल पलाश
    अत्यंत सुन्दर शब्द चित्र । इस कृति की जितनी सराहना करूँ कम होगी । अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति । सस्नेह…,

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  7. आदरणीया मैम, सादर चरण स्पर्श। आपकी कविताओं को पढ़ना सदा ही सुखद अनुभव रहा है। माँ प्रकृति को समर्पित आपकी हर रचना मन को आनंद और शुभता की अनुभूति से भर देती है। यह रचना भी वैसी ही है, मन में पलाश खिला देती है। वसंत ऋतु में खिलते फूलों की सुंदरता लिए बहुत प्यारी सी कविता। पुनः प्रणाम।

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  8. अहा! बहुत ही प्यारी रचना श्वेता लगता है मन के प्लान खिल उठे।
    सस्नेह।

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  9. बहुत सुन्दर रचना प्रिय श्वेता।प्रकृति जब फूलों से शृंगार करती है तो पलाश की उपस्थिति अलग ही नज़र आती है।उस पर तुम्हारी कलम का जादू।माशाल्लाह! आफरीन!आफरीन 👌👌👌

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  10. बहुत सुन्दर रचना प्रिय बहन

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  11. बेहतरीन रचना

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  12. गंधहीन पुष्पों की बहारें
    मृत अनुभूति के वन में
    दावानल सा भ्रमित होता
    मन बन गया फूल पलाश
    पलाश के केसरी रंग बिखर गये मन आँगन में...
    अत्यंत सुंदर
    वाह!!!

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  13. आमों की डाली पे कूके
    कोयलिया विरहा राग
    अकुलाहट भरे पीर उठे
    मन में बिखरने लगे पलाश
    ... बसंत से पहले ही बसंत के आमद का स्वागत करती सुंदर रचना ।बधाई श्वेता जी ।

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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