Monday 20 February 2017

वजह

उदास रात के दामन मेंं
बिसूरती चाँदनी 
खामोश मंजर पसरा है
मातमी सन्नाटा 
ठंडी छत पर सर्द किरणें
बर्फीला एहसास
कुहासे जैसे घने बादलों का
 काफ़िला कोई
नम नीरवता पाँव पसारती
पल-पल गहराती
पत्तियों की ओट में मद्धिम
फीका सा चाँद
अपने अस्तित्व के लिए लड़ता
चुपचाप अटल सा
कंपकपाते बर्फ़ के मानिंंद
सूनी हथेलियों को
अपने तन के इर्द-गिर्द लपेटे
ख़ुद से बेखबर
मौसम की बेरूख़ी को सहते
यादों को सीने से लगाये
अपनी ख़ता पूछती है नम पलकोंं से
बेवज़ह जो मिली 
उस सज़ा की वजह पूछती है 
एक रूह तड़पती-सी
यादोंं को मिटाने का रास्ता पूछती है।


      #श्वेता


13 comments:

  1. बेहतरीन रचना सखी मन मोह गई पंक्ति
    बेवज़ह जो मिली
    उस सज़ा की वजह पूछती है
    एक रूह तड़पती-सी
    यादोंं को मिटाने का रास्ता पूछती है।

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  2. यादों को सीने से लगाये
    अपनी ख़ता पूछती है नम पलकोंं से
    बेवज़ह जो मिली
    उस सज़ा की वजह पूछती है ....

    फिर भी मासूम चाँद को निकलना होगा, कर्मपथ पर बढ़ना होगा। हर ताप सह कर भी सृष्टि का चक्र चलता रहे, अमृत रस बरसाना होगा। किसी एक की यादों की सीने में दफन किये औरों के लिये जीना होगा...
    बेहद सुंदर और भावपूर्ण रचना है श्वेता जी, आपकी लेखनी को नमन

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  3. ठंडी छत पर सर्द किरणें.... वाह!!!

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  4. बहुत सुन्दर श्वेता जी. लगता है कि आप शिला बन चुकी किसी अभिशप्त अहल्या का एकाकीपन और उसकी व्यथा का चित्रण कर रही हैं.

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  5. व्यथित मन की अबूझ सी आकांक्षा का बहुत अलंकृत वर्णन
    सुदृढ़ काव्य पक्ष चमत्कृत करती रचना प्रिय श्वेता आपकी।
    कहीं उदासियों के गहरे कुहासे में घिरी । अप्रतिम।

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  6. चाँद को भी अपना अहसास आपना वजूद ढूँढना होता है कभी ...
    गहरी रचना ...

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  7. बहुत ही सुन्दर रचना श्वेता जी बेवजह मिली सजा की वजह वाह

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  8. वाह बहुत सुंदर रचना

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  9. अद्भुत बेहद सुंदर शब्दों से बेहद खूबसूरत भाव उकेरे हैं आपने रचना हृदय को स्पर्श कर रही बहुत सारी शुभकामनाएं श्वेता जी

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  10. शब्दों और भावों को पिरोती बहुत सुंंदर रचना..

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  11. यादों को सीने से लगाये
    अपनी ख़ता पूछती है नम पलकोंं से
    बेवज़ह जो मिली
    उस सज़ा की वजह पूछती है
    अद्भुत शब्दविन्यास....बहुत लाजवाब...
    वाह!!!

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  12. बहुत लाजवाब सुंदर शब्दों से बेहद खूबसूरत भाव उकेरे हैं

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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