बचपन का ज़माना बहुत याद आता है
लौटके न आये वो पल आँखों नहीं जाता है
न दुनिया की फिक्र न ग़म का कहीं जिक्र
यादों में अल्हड़ नादानी रह रहके सताता है
बेवज़ह खिलखिलाना बेबाक नाच गाना
मासूम मुस्कान को वक्त तड़प के रह जाता है
परियों की कहानी सुनाती थी दादी नानी
माँ के आंचल का बिछौना नहीं मिल पाता है
हर बात पे झगड़ना पल भर में मान जाना
मेरे दोस्तो का याराना बहुत याद आता है
माटी में लोट जाना बारिश मे खिलखिलाना
धूप दोपहरी के ठहकों से मन भर आता है
अनगिनत याद में लिपटे असंख्य हीरे मोती
मुझे अनमोल ख़जाना बहुत याद आता है
क्यूँ बड़े हो गये दुनिया की भीड़ में खो गये
मुखौटे लगे मुखड़े कोई पहचान नहीं पाता है
लाख मशरूफ रहे जरूरत की आपाधापी में
बचपना वो निश्छलता दिल भूल नहीं पाता है
#श्वेता🍁
लौटके न आये वो पल आँखों नहीं जाता है
न दुनिया की फिक्र न ग़म का कहीं जिक्र
यादों में अल्हड़ नादानी रह रहके सताता है
बेवज़ह खिलखिलाना बेबाक नाच गाना
मासूम मुस्कान को वक्त तड़प के रह जाता है
परियों की कहानी सुनाती थी दादी नानी
माँ के आंचल का बिछौना नहीं मिल पाता है
हर बात पे झगड़ना पल भर में मान जाना
मेरे दोस्तो का याराना बहुत याद आता है
माटी में लोट जाना बारिश मे खिलखिलाना
धूप दोपहरी के ठहकों से मन भर आता है
अनगिनत याद में लिपटे असंख्य हीरे मोती
मुझे अनमोल ख़जाना बहुत याद आता है
क्यूँ बड़े हो गये दुनिया की भीड़ में खो गये
मुखौटे लगे मुखड़े कोई पहचान नहीं पाता है
लाख मशरूफ रहे जरूरत की आपाधापी में
बचपना वो निश्छलता दिल भूल नहीं पाता है
#श्वेता🍁