बचपन का ज़माना बहुत याद आता है
लौटके न आये वो पल आँखों नहीं जाता है
न दुनिया की फिक्र न ग़म का कहीं जिक्र
यादों में अल्हड़ नादानी रह रहके सताता है
बेवज़ह खिलखिलाना बेबाक नाच गाना
मासूम मुस्कान को वक्त तड़प के रह जाता है
परियों की कहानी सुनाती थी दादी नानी
माँ के आंचल का बिछौना नहीं मिल पाता है
हर बात पे झगड़ना पल भर में मान जाना
मेरे दोस्तो का याराना बहुत याद आता है
माटी में लोट जाना बारिश मे खिलखिलाना
धूप दोपहरी के ठहकों से मन भर आता है
अनगिनत याद में लिपटे असंख्य हीरे मोती
मुझे अनमोल ख़जाना बहुत याद आता है
क्यूँ बड़े हो गये दुनिया की भीड़ में खो गये
मुखौटे लगे मुखड़े कोई पहचान नहीं पाता है
लाख मशरूफ रहे जरूरत की आपाधापी में
बचपना वो निश्छलता दिल भूल नहीं पाता है
#श्वेता🍁
लौटके न आये वो पल आँखों नहीं जाता है
न दुनिया की फिक्र न ग़म का कहीं जिक्र
यादों में अल्हड़ नादानी रह रहके सताता है
बेवज़ह खिलखिलाना बेबाक नाच गाना
मासूम मुस्कान को वक्त तड़प के रह जाता है
परियों की कहानी सुनाती थी दादी नानी
माँ के आंचल का बिछौना नहीं मिल पाता है
हर बात पे झगड़ना पल भर में मान जाना
मेरे दोस्तो का याराना बहुत याद आता है
माटी में लोट जाना बारिश मे खिलखिलाना
धूप दोपहरी के ठहकों से मन भर आता है
अनगिनत याद में लिपटे असंख्य हीरे मोती
मुझे अनमोल ख़जाना बहुत याद आता है
क्यूँ बड़े हो गये दुनिया की भीड़ में खो गये
मुखौटे लगे मुखड़े कोई पहचान नहीं पाता है
लाख मशरूफ रहे जरूरत की आपाधापी में
बचपना वो निश्छलता दिल भूल नहीं पाता है
#श्वेता🍁
सही कहा श्वेता जी बचपन से सुंदर कुछ भी नहीं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ।
बहुत बहुत आभार आपका रितु जी।
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 02 जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय। मेरी रचना को मान देने के लिए बहुत धन्यवाद आपका।
Deleteहर बात पे झगड़ना पल भर में मान जाना
ReplyDeleteमेरे दोस्तो का याराना बहुत याद आता है
बहुत से अहसास ऐसे होते हैं जो शब्दों की सीमा में नहीं बंधते .....सुन्दर पोस्ट|
आपके ब्लॉग पर आकर तो मै एकदम भावूक हो जाता हूँ
सादर
संजय भास्कर
आपका बहुत बहुत आभार शुक्रिया संजय जी,
Deleteआपके सराहनीय शब्द हमेशा एक नयी ऊर्जा प्रदान करते है।
बहुत ही सुन्दर...।
ReplyDeleteबचपन के खूबसूरत एहसास की सुन्दर शब्द रचना.....
वाह!!!
लाजवाब...
बचपन हर गम से बेगाना होता है
ReplyDeleteबचपन की यादें ताज़ा करती बेहतरीन ग़ज़ल। बचपन पर क़लम चलाने के लिए हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी। भावुकता की ओर ले जाते ख़ूबसूरत लफ्ज़। बधाई एवं शुभकामनाऐं !
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteबचपन की यादों को तरोताजा करती बेहतरीन रचना ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDelete