यादों में तुम बहुत अच्छे लगते हो
याद तेरी जैसे गुलाब महकते है
अलसायी जैसे सुबह होती है
नरम श्वेत हल्के बादलों के
बाहों में झूलते हुये,
रात उतरती है धीमे से
साँझ के तांबई मुखड़े को
पहाड़ो के ओट में छुपाकर
और फैल जाती है घाटियों तक
गुमसुम यादें कहीं गहरे
तुम्हें मेरे भीतर
हृदय में भर देती है
दूर तक फैली हुयी तन्हाई
तेरी यादों की रोशनी से मूँदे
पलकों को ख्वाब की नज़र देती है
तुम ओझल हो मेरी आँखों से
पर यादों में चाँदनी
मखमली सुकून के पल देती है
भटकते तेरे संग तेरी यादों मे
वनों,सरिताओं के एकान्त में
स्वप्निल आकाश की असीम शांति में
हंसते मुस्कुराते तुम्हें जीते है,
फिर करवट लेते है लम्हें
मंज़र बदलते है पलक झपकते
मुस्कुराते धड़कनों से
एक लहर कसक की उठकर
आँखों के कोरो को
स्याह मेघों से भर देती है
कुछ बूँदें टूटी हसरतों की
अधूरी कहानियों को भिंगों देती है
जाने ये कैसी बारिश है
जिसमें भींगकर यादें संदली हो जाती है।
#श्वेता🍁
याद तेरी जैसे गुलाब महकते है
अलसायी जैसे सुबह होती है
नरम श्वेत हल्के बादलों के
बाहों में झूलते हुये,
रात उतरती है धीमे से
साँझ के तांबई मुखड़े को
पहाड़ो के ओट में छुपाकर
और फैल जाती है घाटियों तक
गुमसुम यादें कहीं गहरे
तुम्हें मेरे भीतर
हृदय में भर देती है
दूर तक फैली हुयी तन्हाई
तेरी यादों की रोशनी से मूँदे
पलकों को ख्वाब की नज़र देती है
तुम ओझल हो मेरी आँखों से
पर यादों में चाँदनी
मखमली सुकून के पल देती है
भटकते तेरे संग तेरी यादों मे
वनों,सरिताओं के एकान्त में
स्वप्निल आकाश की असीम शांति में
हंसते मुस्कुराते तुम्हें जीते है,
फिर करवट लेते है लम्हें
मंज़र बदलते है पलक झपकते
मुस्कुराते धड़कनों से
एक लहर कसक की उठकर
आँखों के कोरो को
स्याह मेघों से भर देती है
कुछ बूँदें टूटी हसरतों की
अधूरी कहानियों को भिंगों देती है
जाने ये कैसी बारिश है
जिसमें भींगकर यादें संदली हो जाती है।
#श्वेता🍁
सुनहरी यादों की दुनियाँ बेहद खूबसूरत होती है ! आखरी चार पंक्तियों में रचना अपने क्लाइमैक्स पर पहुँच गयी है ! भावनाओं के बादल से अश्क़ों की बरसात ! नकारात्मक संवेदनाएँ भी सकारात्मक संवेदनाओं में डूब कर उर्जावान हो जातीं हैं ! अब महक को संदली होने से भला कौन रोक सकता है ! बहुत ही खूबसूरत रचना की प्रस्तुति हुई है । बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteवाह्ह्ह....आपने कितनी खूबसूरती से रचना की विवेचना की एक दम यही सोचकर लिखी थी मैंने।
Deleteबहुत आभारी है सर आपके कृपया आशीष बनाये रखे।धन्यवाद सर।
बेबतरीन पंक्तियाँ..
ReplyDeleteतेरी यादों की रोशनी से मूँदे
पलकों को ख्वाब की नज़र देती है
तुम ओझल हो मेरी आँखों से
पर यादों में चाँदनी
मखमली सुकून के पल देती है
भटकते तेरे संग तेरी यादों मे
वनों,सरिताओं के एकान्त में
स्वप्निल आकाश की असीम शांति में
हंसते मुस्कुराते तुम्हें जीते है,
सादर
बहुत बहुत आभार दी आपका आगमन ऊर्जा प्रदान करता है।
Deleteतू याद रख,
ReplyDeleteया ना रख...
तू याद है,
ये याद रख....!!
क्या खूब ,चार लघु पंक्तियों में सार कह दिया आपने दी। बहुत आभार आपका दी हृदय से।
Deleteमखमली एहसास लिए उज्जवल भावों की अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteऐसी रचनाऐं हमारी अनुभूति को स्पर्श कर संवेदना को निखारने में ताल -सुर का सृजन करतीं हैं।
शुभकामनाऐं !
ईश्वर आपकी लेखनी को अपना आशीर्वाद दे।
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका रवींद्र जी,
Deleteआपके ऐसी सुंदर शुभकामनाओं के लिए किस प्रकार शुक्रिया धन्यवाद कहें,शब्द नहीं है।
आप अपनी शुभकामनाओं का साथ सदैव देते रहे
यही प्रार्थना है।
गुमसुम यादें कहीं गहरे
ReplyDeleteतुम्हें मेरे भीतर
हृदय में भर देती है
दूर तक फैली हुयी तन्हाई
......खूबसूरत पंक्तियाँ
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका संजय जी।
Deleteस्वप्निल आकाश की असीम शांति में
ReplyDeleteहंसते मुस्कुराते तुम्हें जीते है,
वाह!!!!
लाजवाब प्रस्तुति....