हरपल मुझको महसूस करो
मैं तुमसे मिलने आऊँगी
भोर लाली के रंग चुरा
पलकों पे तेरे सजाऊँगी
तुम मीठे से मुस्काओगे
प्रथम रश्मि की गरमाहट
मैं उजास भर जाऊँगी
पंखुड़ियाँ कोमल नाजुक
अपने हाथों में भर भर के
मैं तुमसे मिलने आऊँगी
मलकर महक गुलाब की
चुन सारे काँटे ले जाऊँगी
न कुम्हलाओ धूप मे तुम
मैं आँचल सा बिछ जाऊँगी
बनकर लहराती इक बदरी
बारिश रिमझिम रिमझिम
तन को शीतल कर जाऊँगी
चाँद हाथ में लेकर रात को
चुनरी झिलमिल तारों की
गलियारें में आसमां के
बिन बोले खामोशी से
बस तेरी मैं हो जाऊँगी
मैं न समझूँ कुछ न समझूँ
क्या जाने मैं क्या पाऊँगी
तुमको ही दिल ने जाना है
इक डोर नेह के बाँध के मैं
सारे एहसास जगाऊँगी
तेरे मौन का कोई गीत बनूँ
तेरी तन्हाई में चुपके से फिर
मैं तुमसे मिलने आऊँगी
#श्वेता🍁
मैं तुमसे मिलने आऊँगी
भोर लाली के रंग चुरा
पलकों पे तेरे सजाऊँगी
तुम मीठे से मुस्काओगे
प्रथम रश्मि की गरमाहट
मैं उजास भर जाऊँगी
पंखुड़ियाँ कोमल नाजुक
अपने हाथों में भर भर के
मैं तुमसे मिलने आऊँगी
मलकर महक गुलाब की
चुन सारे काँटे ले जाऊँगी
न कुम्हलाओ धूप मे तुम
मैं आँचल सा बिछ जाऊँगी
बनकर लहराती इक बदरी
बारिश रिमझिम रिमझिम
तन को शीतल कर जाऊँगी
चाँद हाथ में लेकर रात को
चुनरी झिलमिल तारों की
गलियारें में आसमां के
बिन बोले खामोशी से
बस तेरी मैं हो जाऊँगी
मैं न समझूँ कुछ न समझूँ
क्या जाने मैं क्या पाऊँगी
तुमको ही दिल ने जाना है
इक डोर नेह के बाँध के मैं
सारे एहसास जगाऊँगी
तेरे मौन का कोई गीत बनूँ
तेरी तन्हाई में चुपके से फिर
मैं तुमसे मिलने आऊँगी
#श्वेता🍁
woderful..https://goo.gl/zHiN2F
ReplyDeleteThanku so much.
Deleteमन के पाखी, चंदा साखी
ReplyDeleteअम्बर में तारे बिछाऊंगी
भगजोगनी की भुकभुक बाती
पथ में तेरे सजाऊंगी
प्राण अपान समान सजन बन
मन प्रांतर छा जाउंगी
हे परम बरहम प्राण पुरुष
मैं प्राकृत चेतन पा जाउंगी।
....................
मै तुमसे मिलने आउंगी!
वाह अनंत के पथिक की उत्कट अभिलाषा का नैसर्गिक उत्सव विलास! बधाई!!!
वाहहह..क्या.बात बहुत खूब लिखा आपने प्रतिक्रिया स्वरूप... सबसे सुंदर पंक्ति भगजोगनी की भुक भुक बाती...आँचलिक भाषा की सुषमा बहुत भायी।👌👌
Deleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका।
वाहः वाहः
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत सृजन
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteवाह! वाह! क्या कहने हैं! पूरी रचना श्रंगार से सराबोर!लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया सर आपका।
Deleteशाश्वत प्रेम की बेहद खुबसूरत अनुभूति और अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह !!!!!
शुभकामनायें
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका आदरणीय,
Deleteआपके शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।
वाकई शाश्वत प्रेम की अनूठी रचना। मन को भाव विभोर करती है। खूबसूरत।
ReplyDeleteबहुत आभार शुक्रिया आपका।
Deleteखूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आभार रितु जी आपका।
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत आभार शुक्रिया आपका P.K ji
Deleteबहुत खूब ,
ReplyDeleteहिन्दी ब्लॉगिंग में आपका लेखन अपने चिन्ह छोड़ने में कामयाब है , आप लिख रही हैं क्योंकि आपके पास भावनाएं और मजबूत अभिव्यक्ति है , इस आत्म अभिव्यक्ति से जो संतुष्टि मिलेगी वह सैकड़ों तालियों से अधिक होगी !
मानती हैं न ?
मंगलकामनाएं आपको !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
जी सर, सच कहा आपने । लेखन मेरे लिए ईश्वर की साधना जैसे है आपने मेरी रचना पढ़ी और समझा मेरे भावों को हृदय से आभारी है आपके।
Deleteसर, आपकी मंगल कामनाओं के लिए हार्दिक आभार।। आपकी प्रतिक्रिया विशेष महत्व रखती है।
कृपया अपना आशीष बनाये रखे।
वाह ! सुंदर ! मायूस दिल में उमंगें जगाने की कोशिशें सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करती हैं। बेहतरीन बिम्बों प्रतीकों से सजी मर्म को छूकर ख़ुशनुमा एहसासों से भरती सरस सरल सुगढ़ मोहक रचना। बधाई एवं शुभकामनाऐं।
ReplyDeleteजी,आपकी सुंदर,सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए अति आभार आपका रवींद्र जी।
ReplyDeleteआपकी शुभकामनाएँ सदैव अपेक्षित है।
खूबसूरत रचना श्रंगार से सराबोर लाजवाब प्रस्तुति.....शुभकामनाएँ
ReplyDeleteसादगी में खूबसूरती का उदाहरण है आप
ReplyDeleteचंद शब्दों में वो कह देती है जो किताब भी ना कहे पाए
एक गजब की खूबसूरती है आप के लेखन में
जो अपनी ओर खींचती है।
कमाल लिखती है आप
वाह! श्वेता जी बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDelete