आज के ख्वाहिशें इंतज़ार में पड़ी होती है
कल की उम्मीदों की फेहरिश्त बड़ी होती है
बहते है वक्त की मुट्ठियों से फिसलते लम्हें
कम होती ज़िदगी के हाथों में घड़ी होती है
क्यों गिरबां में अपने कोई झाँकता नहीं है
निगाहें ज़माने की झिर्रियों में खड़ी होती है
टूटना ही हश्र रात के ख्वाबों का फिर भी
नहीं मानती नींदें भी ज़िद में अड़ी होती है
श्वेत श्याम रंगीन तस्वीरें बंद किताबों में
मृत हो चुकी यादों की जिंदा कड़ी होती है
#श्वेता🍁
कल की उम्मीदों की फेहरिश्त बड़ी होती है
बहते है वक्त की मुट्ठियों से फिसलते लम्हें
कम होती ज़िदगी के हाथों में घड़ी होती है
क्यों गिरबां में अपने कोई झाँकता नहीं है
निगाहें ज़माने की झिर्रियों में खड़ी होती है
टूटना ही हश्र रात के ख्वाबों का फिर भी
नहीं मानती नींदें भी ज़िद में अड़ी होती है
श्वेत श्याम रंगीन तस्वीरें बंद किताबों में
मृत हो चुकी यादों की जिंदा कड़ी होती है
#श्वेता🍁
बहुत उम्दा ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार.शुक्रिया आपका लोकेश जी।
DeleteMind blowing
ReplyDeleteMind blowing
ReplyDeleteThanku so much
DeleteAlok ji
श्वेत श्याम रंगीन तस्वीरें बंद किताबों में
ReplyDeleteमृत हो चुकी यादों की जिंदा कड़ी होती है
---बस्स!! सब कुछ तो कह दिया!
आभार शुक्रिया बहुत बहुत संजय जी।
Deleteबहुत ही सुंदर।
ReplyDeleteबहुत आभार शुक्रिया ज्योति जी।
Deleteबहते है वक्त की मुट्ठियों से फिसलते लम्हें
ReplyDeleteकम होती ज़िदगी के हाथों में घड़ी होती है
बहुत ख़ूब! श्वेता जी क्या ख़ूब लिखा है प्रभावी रचना आभार। "एकलव्य"
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका ध्रुव जी।धन्यवाद।
DeleteHello !
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Thanku so much
DeleteGgreat बहुत ख़ूब 572
ReplyDelete😊😊 जी, शायद...
Deleteशुक्रिया संजय जी।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 28जून 2017 को लिंक की गई है...............http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत आभार शुक्रिया पम्मी जी।
Deleteग़ज़ल का हर शेर माक़ूल वज़्न के साथ। ख़ूबसूरत जज़्बातों को उभारा है श्वेता जी ने।बधाई एवं शुभकामनाऐं!
ReplyDeleteग़ज़ल का हर शेर माक़ूल वज़्न के साथ। ख़ूबसूरत जज़्बातों को उभारा है श्वेता जी ने।बधाई एवं शुभकामनाऐं!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका रवींद्र जी।
Deleteशुभकामनाओ के लिए हृदय से धन्यवाद आपका।
बहुत ही सुन्दर सार्थक गजल...
ReplyDeleteलाजवाब....
बहुत बहुत आभार और दिल से शुक्रिया आपका
Deleteसुधा जी।
वाह ! लाजवाब ! हर शेर कुछ कहता हुआ । बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बहुत आभार शुक्रिया सर आपका।आपकी सराहना मेरे लिए आशीष समान है।बहुत धन्यवाद आपका।
Deleteवाह श्वेता जी ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteबहुत आभार आपका साधना जी।
ReplyDeleteआपका हृदय सेक्षस्वागत है मेरी पोस्ट पर।