तुम्हारे मौन के ईद-गिर्द
परिक्रमा मेरे मन की
ज्यों धुरी में नाचती धरती
टोहती सूरज का पारा
तुम्हारे मौन के सन्नाटे में
मन बहरा,ध्यानस्थ योगी
हर आवाज़ से निर्लिप्त
तुम पुकारो नाम हमारा
मौन में पसरी विरक्ति
टीसता है,छीलता मन
छटपटाता आसक्ति में
चाहता नेह का कारा
तुम्हारे मौन से विकल
जार-जार रोता मेरा मन
आस लिये ताकता है
निःशब्द मन का किनारा
#श्वेता सिन्हा