तुम्हारे मौन के ईद-गिर्द
परिक्रमा मेरे मन की
ज्यों धुरी में नाचती धरती
टोहती सूरज का पारा
तुम्हारे मौन के सन्नाटे में
मन बहरा,ध्यानस्थ योगी
हर आवाज़ से निर्लिप्त
तुम पुकारो नाम हमारा
मौन में पसरी विरक्ति
टीसता है,छीलता मन
छटपटाता आसक्ति में
चाहता नेह का कारा
तुम्हारे मौन से विकल
जार-जार रोता मेरा मन
आस लिये ताकता है
निःशब्द मन का किनारा
#श्वेता सिन्हा
तुम्हारे मौन से विकल
ReplyDeleteजार-जार रोता मेरा मन
आस लिये ताकता है
निःशब्द मन का किनारा
बेहतरीन रचना श्वेताजी
"छटपटाता आसक्ति में
ReplyDeleteचाहता नेह का कारा" ...रुमानियत, संवेदनशीलता और मार्मिकता का कॉकटेल .....
वैसे तो मन ... मौन हो कर भी बहुत कुछ बुदबुदाता है ना ... बस लौकिक श्रवण-तंत्र से परे सुनना होगा ...
बेहद हृदयस्पर्शी
ReplyDeleteछटपटाता आसक्ति में
ReplyDeleteचाहता नेह का कारा
बहुत गहरा भाव।
सादर
आस लिये ताकता है
ReplyDeleteनिःशब्द मन का किनारा...आशा की टिमटिमाती लौ की बाहरी रेख में कांपते मन की कसक!!! बहुत सुंदर!!!!!
बहुत समय से आपकी कविता किसी के इर्द गिर्द ही घूम रही सी लगती है।
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार.
"तुम पुकारो नाम हमारा"
ReplyDeleteगर प्रयास कर पहल कर के देखा जाए पहले इधर से ही नाम पुकारा जाए।
"निःशब्द मन का किनारा"
यानि मौन इधर भी, फिर कौन तोड़े मौन को, मैं का अहम ही हर द्वंद का कारण है।
बस ऐसे ही पंक्तियाँ जो ज्यादा बोल रही है उनका रहस्य खोजा तो लगा कुछ ऐसा भी हो सकता है.. 😍
बहुत अभिनव अभिव्यक्ति है प्यारी सी पर गमज़दा।
बेहतरीन सृजन प्रिय श्वेता दी
ReplyDeleteसादर
तुम्हारे मौन से विकल
ReplyDeleteजार-जार रोता मेरा मन
आस लिये ताकता है
निःशब्द मन का किनारा
...लाज़वाब अहसास। बहुत सुंदर।
तुम्हारे मौन के सन्नाटे में
ReplyDeleteमन बहरा,ध्यानस्थ योगी
हर आवाज़ से निर्लिप्त
तुम पुकारो नाम हमारा
वाह!!!
मन जो चाहता नेह का कारा....बहुत ही लाजवाब अभिव्यक्ति....मन में प्रेम की छटपटाहट पर पहल की उम्मीद प्रिय से...
तुम्हारे मौन के सन्नाटे में
ReplyDeleteमन बहरा,ध्यानस्थ योगी
हर आवाज़ से निर्लिप्त
तुम पुकारो नाम हमारा
बेहद खूबसूरत भावाभिव्यक्ति ..👌👌
अत्यंत हृदयग्राही रचना श्वेता जी ! बहुत सुन्दर !
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ReplyDeleteतुम्हारे मौन के सन्नाटे में
मन बहरा,ध्यानस्थ योगी
हर आवाज़ से निर्लिप्त
तुम पुकारो नाम हमारा...
अहसासों की मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति।
मौन में पसरा कोलाहल
ReplyDeleteप्रेम में डुबकी सा अहसास 💐
सुंदर कविता।
तुम्हारे मौन से विकल
ReplyDeleteजार-जार रोता मेरा मन
आस लिये ताकता है
निःशब्द मन का किनारा
कसकते मन की विरह वेदना को दर्शाती भावपूर्ण रचना प्रिय श्वेता | हार्दिक शुभकामनायें |