धर्म के नाम पर
कराह रही इंसानियत
राम,अल्लाह मौन है
शोर मचाये हैवानियत
धर्म के नाम पर
इंसानों का बहिष्कार है
मज़हबी नारों के आगे
मनुष्यता बीमार है
खून को पानी बना के
बुझ सकेगी प्यास क्या?
चीत्कार को लोरी बना
कट सकेगी रात क्या?
न बनो कठपुतलियाँ
ज़रा विवेक से काम लो,
राम-रहीम के आदर्श को
न छ्द्म धर्म का नाम दो।
धर्म के नाम पर
मत बाँटो इन्सानों को,
अपने भीतर उग आये
काटो ईष्यालु शैतानों को
लफ़्जों की लकीर खींच
न नफरतों के कहर ढाओ
मार कर विष टहनियों को
सौहार्द्र का एक घर बनाओ
मज़हब़ी पिंज़रों से उड़कर
मानवता का गीत गाओ
दिल से दिल को जोड़कर
राष्ट्रधर्म का संकल्प उठाओ
-श्वेता सिन्हा