Showing posts with label समानता. Show all posts
Showing posts with label समानता. Show all posts

Wednesday 16 January 2019

समानता


देह की 
परिधियों तक
सीमित कर
स्त्री की 
परिभाषा
है नारेबाजी 
समानता की।

दस हो या पचास
कोख का सृजन
उसी रजस्वला काल 
से संभव
तुम पवित्र हो 
जन्म लेकर
जन्मदात्री
अपवित्र कैसे?

रुढ़ियों को 
मान देकर
अपमान मातृत्व का
मान्यता की आड़ में
अहं तुष्टि या
सृष्टि के
शुचि कृति का
तमगा पुरुष को

देव दृष्टि 
सृष्टि के 
समस्त जीव पर 
समान,
फिर...
स्त्री पुरुष में भेद?
देवत्व को 
परिभाषित करते 
प्रतिनिधियो; 
देवता का
सही अर्थ क्या?

देह के बंदीगृह से
स्वतंत्र होने को
छटपटाती आत्मा
स्त्री-पुरुष के भेद
मिटाकर ही
पा सकेगी
ब्रह्म और जीव
की सही परिभाषा।

-श्वेता सिन्हा



मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...