बस थोड़ी देर और ये नज़ारा रहेगा
कुछ पल और धूप का किनारा रहेगा
हो जाएँगे आकाश के कोर सुनहरे लाल
परिंदों की खामोशी शाम का इशारा रहेगा
ढले सूरज की परछाई में चिराग रौशन होगे
दिनभर के इंतज़ार का हिसाब सारा रहेगा
मुट्ठियों में बंद कुछ ख्वाब थके से लौटेगे
शज़र की ओट लिये एक चाँद आवारा रहेगा
अँधेरों की वादियों में तन्हाईयाँ महकती है
सितारों की गाँव में चेहरा बस तुम्हारा रहेगा
#श्वेता🍁
कुछ पल और धूप का किनारा रहेगा
हो जाएँगे आकाश के कोर सुनहरे लाल
परिंदों की खामोशी शाम का इशारा रहेगा
ढले सूरज की परछाई में चिराग रौशन होगे
दिनभर के इंतज़ार का हिसाब सारा रहेगा
मुट्ठियों में बंद कुछ ख्वाब थके से लौटेगे
शज़र की ओट लिये एक चाँद आवारा रहेगा
अँधेरों की वादियों में तन्हाईयाँ महकती है
सितारों की गाँव में चेहरा बस तुम्हारा रहेगा
#श्वेता🍁
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 29 मार्च 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteकितनी अच्छी तरह से आपने शाम और तड़प का उल्लेख किया है ।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार दिग्विजय जी🙏
ReplyDeleteआपका आभार बहुत शुक्रिया रचना की सराहना के लिए PK ji🍁
ReplyDeleteमुट्ठियों में बंद कुछ ख्वाब थके से लौटेगे
ReplyDeleteशज़र की ओट लिये एक चाँद आवारा रहेगा
बहुत ख़ूब !सुंदर रचना
खूब सारा आभार ध्रुव जी। उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया आपका।🍁
ReplyDeleteब्लाग समर्थक बटन जोड़ें । डैशबोर्ड --> लेआउट-> गैजेट जोड़ें->अधिक गैजेट--> समर्थक
ReplyDeleteसुन्दर रचना।
आभार सुशील जी खूब सारा आपके सुझाव पर जरूर ध्यान देगे कृपया अपना मार्ग दर्शन बनाये रखे।
Deleteआभार आपका सावन जी पोस्ट पर आने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना बहुत खूब
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