बहाना ढ़ूँढ़ लो तुम हँसने और हँसाने का
मुट्ठीभर साँसों को क्यों गम में गँवाने का
अगर मुमकिन नहीं आसमां में उड़ पाना
हौसला रखो फ़लक ही जमीं पर लाने का
हर फसल ख्वाब की तैयार हो जरूरी नहीं
बोना न भूलो नये ख्वाब जरुर सच होने का
इस ज़िदगी के कारोबार को समझना मुश्किल
एक आँख में पाने की खुशी दूजे में रंज खोने का
टूटकर चकनाचूर होता दिल किसी बहाने से
न बनाओ अपनी खुशी काँच के खिलौने का
#श्वेता🍁
मुट्ठीभर साँसों को क्यों गम में गँवाने का
अगर मुमकिन नहीं आसमां में उड़ पाना
हौसला रखो फ़लक ही जमीं पर लाने का
हर फसल ख्वाब की तैयार हो जरूरी नहीं
बोना न भूलो नये ख्वाब जरुर सच होने का
इस ज़िदगी के कारोबार को समझना मुश्किल
एक आँख में पाने की खुशी दूजे में रंज खोने का
टूटकर चकनाचूर होता दिल किसी बहाने से
न बनाओ अपनी खुशी काँच के खिलौने का
#श्वेता🍁
Very beautiful
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आपका अर्चना जी।
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