तन्हा हर लम्हें में यादों को खोलना,
धीमे से ज़ेहन की गलियों में बोलना।
ओढ़ के मगन दिल प्रीत की चुनरिया
बाँधी है आँचल से नेह की गठरिया,
बहके मलंग मन खाया है भंग कोई
चढ़ गया तन पर फागुन का रंग कोई,
हिय के हिंडोले में साजन संग डोलना
धीमे से ज़ेहन की गलियों में बोलना।
रेशम सी चाहत के धागों का टूटना
पलकों के कोरों से अश्कों का फूटना,
दिन दिनभर आँखों से दर को टटोलना
गिन गिनकर दामन में लम्हें बटोरना,
पूछे है धड़कन क्यों बोले न ढोलना
धीमे से ज़ेहन की गलियों में बोलना।
रूठा है जबसे तू कलियाँ उदास है
भँवरें न बोले तितलियों का संन्यास है,
सूनी है रात बहुत चंदा के मौन से
गीली है पलकें ख्वाब देखेगी कौन से,
बातें है दिल की तू लफ्ज़ो से तोल ना
धीमे से ज़ेहन की गलियों में बोलना।
#श्वेता🍁
लाजवाब ।
ReplyDeleteमुद्दतों से थे जिनकी यादों को दर्देदिल में घर वसाए हुए
सुना है एक अरसा गुजर गया है उनका हमें भुलाए हुए
बहुत शुक्रिया आभार आपका अन्जान महोदय
ReplyDeleteसुंदर प्रतिक्रिया लिखने के लिए।
दबरदस्त..
ReplyDeleteरूठना तेरा
जालिम..
भाता नहीं हमको
ज़रा भी
....
सादर
बहुत बहुत आभार दी:)
Deleteतहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।
वाह वाह श्वेता बहुत खूबसूरत विरह रंगों से सजी सुंदर रचना तेरा न होना जैसे अरमानों का लुटना
ReplyDeleteसंवरते संवरते भाग्य का बिगडना
तेरी हर खुशी और दर्द मेरा जीवन
न जाने आश का पंछी उड के बैठा किधर। शुभ संध्या ।
वाह्ह्ह...दी बहुत सुंदर लिखा आपने :)👌👌
Deleteआभार दी हृदय से बहुत सारा ब्लॉग पर आने के लिए।
सुंदर रचना, गर प्यार का संचार बेजार बढाए रूठना तो परस्पर यदा कदा रूठ ही जाना अच्छा ।
ReplyDeleteबधाई श्वेता जी।।।।।।
वाह !!!!! बहुत ख़ूब !
ReplyDeleteतीनों बंद अपनी-अपनी दास्तां कहते हुए अलग-अलग रंग बिखेरते हुए। भावों को अल्फ़ाज़ के मोतियों में पिरोकर आपने जो शब्दमाला पेश की है वह न जाने कितने दिलों को जपने के लिए आकर्षित करेगी। आलोचक भी दांतों तले उंगली दबा लेंगे। आपकी सृजनशीलता का कलात्मक और भावात्मक पक्ष वाचक को मख़मली एहसास से सराबोर करता है।
बधाई एवं शुभकामनाऐं आदरणीया श्वेता जी। लिखते रहिये यों ही अनवरत...
दिन दिनभर आँखों से दर को टटोलना
ReplyDeleteगिन गिनकर दामन में लम्हें बटोरना,
पूछे है धड़कन क्यों बोले न ढोलना
धीमे से ज़ेहन की गलियों में बोलना।
वाह वाह वाह। दर्द में तरबतर जज़्बातों से सजी लाज़वाब रचना। छंद बद्ध लय बद्ध एक बेहतरीन गायन योग्य विरह का गीत। शानदार । बहुत सुंदर
वाह.. अनुराग, अनुरोध और अल्फाजों से लबरेज़ बहुत ही सुंदर रचना..
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteमन के भीतर गूंजती कविता