Saturday, 3 June 2017

एक रात ख्वाब भरी

गीले चाँद की परछाई
खोल कर बंद झरोखे
चुपके से सिरहाने
आकर बैठ गयी
करवटों की बेचैनी
से रात जाग गयी
चाँदनी के धागों में
बँधे सितारे
बादलों में तैरने लगे
हवा लेकर आ गयी
रातरानी की खुशबू में
लिपटे तेरे ख्याल
हवाओं की थपकियाँ देकर
आगोश में लेकर सुलाने लगे
मदभरी पलकों को चूमकर
ख्वाबों की परियाँ
छिड़क कर
तुम्हारे एहसास का इत्र
पकड़ कर दामन
खींच रही है स्वप्निल संसार में

       #श्वेता🍁






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शुक्रिया।

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