Wednesday, 2 August 2017

दिल पे तुम्हारे

दिल पे तुम्हारे कुछ तो हक हमारा होगा
कोई लम्हा तो याद का तुमको प्यारा होगा

कब तलक भटकेगा इश्क की तलाश में
दिली ख्वाहिश का कोई तो किनारा होगा

रात तो कट जाएगी बिन चाँदनी के भी
न हो सूरज तो दिन का कैसे गुजारा होगा

पूछती है उम्मीद भरी आँखें बागवान की
लुटती बहार मे कौन फूलों का सहारा होगा

तोड़ आते रस्मों की जंजीर तेरी खातिर
यकीन ही नहीं तुमने दिल से पुकारा होगा

     #श्वेता🍁



4 comments:

  1. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल

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    1. बहुत बहुत आभार लोकेश जी।

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  2. वाह!सुंदर शब्दों और मनोभावों से परिपूर्ण रचना..

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  3. इश्क की तलाश में तो कई बार जीवन भी कम लगता है ...
    खूबसूरत शेरों का गुलदस्ता है ...

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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