*चित्र साभार गूगल*
भूखएक शब्द नहीं
स्वयं में परिपूर्ण
एक संपूर्ण अर्थ है।
कर्म का मूल आधार
है भूख
बदले हुये
स्थान और
भाव के साथ
बदल जाते है
मायने भूख के
अक्सर
मंदिर के सीढ़ियों पर
रेलवे स्टेशनों पर
लालबत्ती पर
बिलबिलाते
हथेलियाँ फैलाये
खड़ी मिलती है
रिरियाती भूख
हाड़ तोड़ते
धूप ,जाड़ा बारिश
से बेपरवाह
घुटने पेट पर मोड़े
खेतों में जुते
कारखानों की धौंकनी
में छाती जलाते
चिमनियों के धुएँ में
परिवार के सपने
गिनते लाचार भूख
देह की भूख
भारी पड़ती है
आत्मा की भूख पर
लाचार निरीह
बालाओं को
नोचने को आतुर
लिजलिजी ,भूखी आँखों
को सहती भूख
जनता को लूटते
नित नये स्वप्न दिखाकर
अलग अलग भेष में
प्रतिनिधि बने लोगों
की भूख
विस्तृत होती है
आकाश सी अनंत
जो कभी नहीं मिटती
और दो रोटी में
तृप्त होती है
संतोष की भूख
मान, यश के
लिए
तरह-तरह के
मुखौटे पहनती
लुभाती
अनेकोंं
आकार-प्रकार
से सुसज्जित
भूख
मन की भूख
अजीब होती है
लाख बहलाइये
दुनिया की
रंगीनियों में
पर
मनचाहे साथ
से ही तृप्त होती है
मन की भूख।
#श्वेता सिन्हा
अति मार्मिक सत्य का अनावरण करती रचना ,सुन्दर व करुण रूप दर्शाती आभार ,"एकलव्य"
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका तहेदिल से 'एकलव्य' जी।
Deleteवाह!अदभुत लेखन आपका श्वेता जी
ReplyDeleteवर्तमान परिवेश का, खींच दिया है चित्र
शब्द संयोजन आपका,है अति सुंदर मित्र..!!
जी, बहुत बहुत आभार आपका विनोद जी।
Deleteहमेशा की तरह दो सुंदर पंक्तियाँ रचना का मान बढ़ाती हुयी:))
भूख सिर्फ भोजन की नही अपितु अन्य भूख ज्यादा व्याप्त है हमारे परिवेश में.....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर....
अद्भुत चिन्तन....
लाजवाब प्रस्तुति ।
सुधा जी, रचना का मूल भाव समझने के लिए हृदय से बहुत सारा आभार।
Deleteतहेदिल से शुक्रिया आपका।
भूख के अलग अलग लेकिन वास्तविक रूपों का सुंदर चित्रण स्वेता।
ReplyDeleteब्लॉग पर ई मेल सब्स्क्रिबशन का विजेट लगाए ताकि आपके नए पोस्ट की जानकारी मिलने में आसानी हो।
बहुत बहुत आभार ज्योति जी, आपका शुक्रिया खूब सारा आपके कहे अनुसार हम मेल का ऑफ्शन लगा दिये। तहे दिल से धन्यवाद आपका।
Deleteबहुत बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteकितने रूप परिभाषित किये है आपने ......, सभी तो दिखते हैं उनको महसूस कर शब्दों के माध्यम से बहुत सुन्दर रूप दिया है आपने श्वेता जी .
ReplyDeleteकितने रूप परिभाषित किये है आपने ......, सभी तो दिखते हैं उनको महसूस कर शब्दों के माध्यम से बहुत सुन्दर रूप दिया है आपने श्वेता जी .
ReplyDeleteजी, आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए आभार आपका तहेदिल से मीना जी।
Deleteमार्मिक सत्य सुंदर चित्रण
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका संजय जी तहेदिल से।
Deleteअत्यंत हृदयस्पर्शी रचना ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका मीना जी।
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