Tuesday, 29 August 2017

जाते हो तो....


जाते हो तो साथ अपनी यादें भी लेकर जाया करो
पल पल जी तड़पा के  आँसू बनकर न आया करो

चाहकर भी जाने क्यों
खिलखिला नहीं पाती हूँ
बेचैनियों को परे हटा
तुम बिन  धड़कनों का
सिलसिला नहीं पाती हूँ
भारी गीली पलकों का
बोझ उठा नहीं पाती हूँ

फूल,भँवर,तितली,चाँद में तुम दिखते हो चौबारों में
पानी में लिखूँ नाम तेरा,तेरी तस्वीर बनाऊँ दीवारों में

दिन दिन भर बेकल बेबस
गुमसुम बैठी सोचूँ तुमको
तुम बन बैठे हो प्राण मेरे
हिय से कैसे नोचूँ तुझको
गम़ बन बह जा आँखों से
होठों से पी पोछूँ तुझको

सूनी सुनी सी राहों में पल पल तेरा रस्ता देखूँ
दुआ में तेरी खुशी माँगू  तुझको मैं हँसता देखूँ

चाहकर ये उदासी कम न हो
क्यूँ प्रीत इतना निर्मोही है
इक तुम ही दिल को भाते हो
तुम सा क्यूँ न कोई है
दिन गिनगिन कर आँखें भी
कई रातों से न सोई है

तुम  हो न  हो तेरा प्यार  इस  दिल का  हिस्सा है
अब तो जीवन का हर पन्ना बस तेरा ही किस्सा है

   #श्वेता🍁

29 comments:

  1. बहुत ख़ूबसूरत और भावमय गीत...

    ReplyDelete
    Replies
    1. अति आभार आपका सर,तहेदिल से शुक्रिया।

      Delete
  2. या अनुरागी चित की गति समुझै न .....उज्जल होय!
    अनुराग के उछाह की आकुल अभिव्यक्ति ! बहुत सुंदर!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुंदर प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से अत्यंत आभार आपका
      विश्वमोहन जी।

      Delete
  3. बहुत ही भावुक रचना
    दिल की गहराइयों से निकले शब्द

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका लोकेश जी।

      Delete
  4. जानूँ तुम सा क्यूँ न कोई है
    दिन गिनगिन कर आँखें भी
    रोती कई रातों से न सोई है-------------
    क्या बात है !!!!!!!!!!!! प्रेम भरे आकुल मन का विरह गान --------- श्वेता जी लाजवाब भावों से भरी है आपकी सुंदर रचना ------- सस्नेह शुभकामना आपको ------

    ReplyDelete
    Replies
    1. अत्यंत आभार हृदय से आपका रेणु जी।आपके स्नेहयुक्त शब्द और अच्छा लिखने.को प्रेरित करते है।आपकी शुभकामनाओं के लिए तहेदिल से बहुत शुक्रिया।

      Delete
  5. बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ। कमाल का वर्णन वाह !शुभकामनाओं सहित ,आभार ''एकलव्य"

    ReplyDelete
    Replies
    1. अत्यंत आभार तहेदिल से आपका आदरणीय ध्रुव जी।

      Delete
  6. वाह!!!
    प्रेम की पराकाष्ठा....
    बहुत ही सुन्दर ...दिल को छूती रचना...

    ReplyDelete
    Replies
    1. अत्यंत आभार तहेदिल से आपका सुधा जी।
      नेह बनाये रखिए।

      Delete
  7. विरह प्रणय का संगम
    नयन हुए फिर से नम
    फिर वही बिछोह का दुःख झेला है !!!
    जिसने महसूस किया है वही समझ सकता है, सुंदर भावुक रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. अत्यंत आभार तहेदिल से मीना जी,आपकी सुंदर प्रतिक्रिया मन छूती है हमेशा। अपना नेह बनाये रखिए।

      Delete
  8. क्या कहें, क्या लिखें। भाबों का अतिरेक मन और प्राण दोनों को समेट नवजीबन प्रदान कर रहा हो जैसे। गजब है आपका लेखन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, अत्यंत आभार आपका, आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए।

      Delete

  9. बहुत सुन्दर‎ भाव संयोजन .कमाल करती हैं आप भावनाओं को उकेरने में .

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका तहेदिल से मीना जी।उत्साहवर्धन करती आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर मन गदगद हुआ।

      Delete
  10. Replies
    1. आपका अति आभार रितु जी।

      Delete
  11. बहुत.बहुत आभार आपका आदरणीय सर।

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर शब्द भाव संयोजन

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, आभार आपका तहे दिल से ,ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

      Delete
  13. पहली ही पंक्ति पढ़कर मुझे अपना एक पुराना शेर याद आ गया ! शेर कुछ यूँ है ---
    तुम जा रहे हो!ठीक है!मेरी यादाश्त भी लेते जाओ
    तेरी यादों के पुलिंदे मुझे हँसने नहीं देंगे ।
    प्रेम और विरह की वेदना को प्रस्तुत करती बेहतरीन रचना । बहुत खूब आदरणीया ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय सर,आपने इतना खूबसूरत शेर लिखा मेरी रचना का मान बढ़ा।
      तहेदिल से शुक्रिया आपका।

      Delete
  14. वाह !
    विरह वेदना का व्यापक विवेचन। बधाई।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका रवींद्र जी।

      Delete
  15. प्रेम और विरह का भाव समेटे शानदार रचना है ... दिल को छूती हुयी ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार आपका नासवा जी आपकी सराहना उपहार जैसा है।तहे दिल से शुक्रिया।

      Delete

आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

मैं से मोक्ष...बुद्ध

मैं  नित्य सुनती हूँ कराह वृद्धों और रोगियों की, निरंतर देखती हूँ अनगिनत जलती चिताएँ परंतु नहीं होता  मेरा हृदयपरिवर...