ख्वाहिशें
रक्तबीज सी
पनपती रहती है
जीवनभर,
मन अतृप्ति में कराहता
बिसूरता रहता है
अंतिम श्वास तक।
•••••••••••••••••••••••••••
मौन
ब्रह्मांड के कण कण
में निहित।
अभिव्यक्ति
होठों से कानों तक
सीमित नहीं,
अंतर्मन के
विचारों के चिरस्थायी शोर में
मौन कोई नहीं हो सकता है।
••••••••••••••••••••••••••••••
दुख
मानव मन का
स्थायी निवासी है
रह रह कर सताता है
परिस्थितियों को
मनमुताबिक
न देखकर।
•••••••••••••••••••••••••••••••••
बंधन
हृदय को जोड़ता
अदृश्य मर्यादा की डोर है।
प्रकृति के नियम को
संतुलित और संयमित
रखने के लिए।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••
दर्पण
छलावा है
सिवाय स्वयं के
कोई नहीं जानता
अपने मन के
शीशे में उभरे
श्वेत श्याम मनोभावों को।
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
श्वेता🍁
रक्तबीज सी
पनपती रहती है
जीवनभर,
मन अतृप्ति में कराहता
बिसूरता रहता है
अंतिम श्वास तक।
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मौन
ब्रह्मांड के कण कण
में निहित।
अभिव्यक्ति
होठों से कानों तक
सीमित नहीं,
अंतर्मन के
विचारों के चिरस्थायी शोर में
मौन कोई नहीं हो सकता है।
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दुख
मानव मन का
स्थायी निवासी है
रह रह कर सताता है
परिस्थितियों को
मनमुताबिक
न देखकर।
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बंधन
हृदय को जोड़ता
अदृश्य मर्यादा की डोर है।
प्रकृति के नियम को
संतुलित और संयमित
रखने के लिए।
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दर्पण
छलावा है
सिवाय स्वयं के
कोई नहीं जानता
अपने मन के
शीशे में उभरे
श्वेत श्याम मनोभावों को।
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श्वेता🍁
बहुत सुंदर
ReplyDeleteअन्तर्मन की व्यथा को सुंदर तरीके से उकेरा है आपने
अत्यंत आभार शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteशब्द और उनमें निहित भावनाओं का सम्प्रेषण, अदभुत।
ReplyDeleteआपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हृदय से अति आभार।
Deleteशब्द-दर-शब्द अद्भुत फ़लसफ़ा! अनिर्वचनीय!!!
ReplyDeleteजी,आपके सुंदर शब्दों से रचना के बारे में दी गयी प्रतिक्रिया अर्थपूर्ण है।अति आभार आपके उत्साह बढ़ाते शब्दों के लिए।
Deleteसुन्दर क्षणिकाएं ... चुटीली ... स्पष्ट अर्थ भाव लिए ...
ReplyDeleteअत्यंत आभार शुक्रिया आपका नासवा जी।
Deleteसभी क्षणिकाओं में भावों की स्पष्टता और जीवन दर्शन बहुत खूब है ------
ReplyDeleteअति आभार आपका तहेदिल से रेणु जी।
Deleteबेहद सुन्दर, सार्थक, क्षणिकाएं....
ReplyDeleteवाह!!!
जी अत्यंत आभार तहेदिल से सुधा जी।
Deleteबहुत बहुत आभार दी आपका मेरी रचना को मान देने के लिए।
ReplyDeleteबढ़िया।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका सर।
Deleteसंक्षेप में सारगर्भित बातें ! सबसे पहली विशेष अच्छी लगी ।
ReplyDeleteअति आभार आपका मीना जी,तहे दिल से शुक्रिया आपका नेह बना रहे।
Deleteख्वाहिशों को
ReplyDeleteखुद से पहले
सुला देता हूँ
हैरत,
सुबह ये
मुझसे पहले
जाग जाती है..
वाह्ह्ह...सुंदर पंक्तियाँ दी👌
Deleteआपकी प्रतिक्रिया पाना पुरस्कार पाने जैसा है।
अति आभार आपका तहे दिल से दी।
सभी क्षणिकाएं एक से बढ़ कर एक है। सुंदर प्रस्तूती।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका ज्योति जी।
Deleteसुन्दर!
ReplyDeleteबिषयों को नए कलेवर में परिभाषित करती क्षणिकाऐं गागर में सागर की भांति हैं !
स्पष्टता और प्रवाह के साथ भाव छलक रहे हैं।
बधाई एवं शुभकामनाऐं।
आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया सदैव उत्साहित करती है,तहेदिल दिल अति आभार आपका रवींद्र जी।
Deleteआपकी शुभकामनाएँ बनी रही यही कामना करते है।