*चित्र साभार गूगल*
तन्हाई में छा रही है उनकी याददेर तक तड़पा रही है उनकी याद
काश कि उनको एहसास होता
कितना सता रही है उनकी याद
एक कतरा धूप की आस में बैठी
मौन कपकपा रही है उनकी याद
रख लूँ लाख मशरूफ खुद को
जे़हन में छा रही है उनकी याद
साथ घूमने ख्वाब की गलियों में
बार बार ले जा रही है उनकी याद
रूला कर ज़ार ज़ार सौ बार देखो
बेशरम मुस्कुरा रही है उसकी याद
बना लूँ दिल भी पत्थर का मगर
मोम सा पिघला रही है उनकी याद
#श्वेता🍁
बहुत बहुत खूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार,शुक्रिया आपका लोकेश जी।
Deleteवाह !!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर.... लाजवाब...
बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी।
Deleteबेहद खूबसूरत .........,
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका मीना जी।
Deleteतन्हाई में छा रही है उनकी याद
ReplyDeleteदेर तक तड़पा रही है उनकी याद
Very beautiful poem
अत्यंत आभार तहेदिल से आपका रिंकी जी
Deleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।
हमेशा की तरह बहुत सुंदर रचना ---------
ReplyDeleteअति आभार आपका रेणु जी।
Deleteवाह ! वाह ! क्या बात है ! बेहतरीन प्रस्तुति ! हर शेर लाजवाब ! बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteअति आभार सर,आपका आशीष मिला।तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteबहुत ख़ूबसूरत जज्बातों से सजी पोस्ट.....शानदार|
ReplyDeleteap
बहुत बहुत आभार आपका संजय जी।
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