Tuesday, 5 September 2017

इंतज़ार

स्याह रात के
तन्हा दामन में
लम्हा लम्हा
सरकता वक्त,
बादलों के ओठों पर
धीमे धीमें मुस्कुराता
स्याह बादल के कतरों
 के बीच शफ्फाक
हीरे की कनी सा
आँखों को लुभाता
शरमीला चाँद,
खामोश ताकते
सितारों की महफिल से
छिटक कर गिरते
ख्वाहिशों के टुकड़े
एक एक कर  चुनती
समेटती मुट्ठियों में
अनदेखे ख्वाब,
भीगती सारी रात
चाँदनी की बारिश में
जुगनुओं से खेलती लुका छिपी
काँच की बोतलों में
भरकर ऊँघते चाँद की खुशबू
थक गयी हटाकर
बादलों के परदे
एक झलक भोर के
इंतज़ार में,
लंबी रात की पल पल गिनती
बैठी हूँ आज फिर
अपने आगोश मे
दरख्तों को लेकर सोये
झील के खामोश किनारे पर।

        #श्वेता🍁



25 comments:

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    1. सादर आभार दी,आपका आशीष मिला मन प्रसन्न हुआ:)

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  2. Nice

    http://www.englishinbhilai.com/

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  3. सुकोमल भावों को प्रकृति की विराटता की स्वप्निल यात्रा कराती, खुले आसमान में स्वच्छंदता से विचरण करते हुए भावुकता के आगोश में ला पटकती है अंत में यह रचना।
    मार्मिक सृजन।
    संसार की भौतिकता जब हद पार कर जाय और नकारात्मक्ता छा जाय तब प्रकृति के आँचल में ही सुकूं मिलता है।
    थके मन को ताज़गी का एहसास कराती उत्कृष्ट रचना। बधाई एवं शुभकामनाऐं श्वेता जी।
    लिखते रहिये।

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    1. आपकी विश्लषणात्मक प्रतिक्रिया के आभार के लिए शब्द नहीं है मेरे पास। बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका हृदयतल से।
      आपके शुभकामनाओं का साथ बना रहे सदैव यही चाहेगें।

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  4. नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 07 -09 -2017 को प्रकाशनार्थ 783 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।

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    1. अति आभार आपका रवींद्र जी।
      आपने रचना को मान दिया तहे दिल से आभारी है।

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  5. खूबसूरत चित्र खींच दिया शब्दों से !!!
    सब कुछ सजीव सा हो उठा आँखों के सामने....
    बधाई श्वेताजी !

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    1. अति आभार आपका मीना जी,सस्नेह तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  6. बहुत सुन्दर रचना ,आभार "एकलव्य"

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    1. बहुत बहुत आभार आपका तहेदिल दिल से शुक्रिया ध्रुव जी।

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  7. वाह ! कमाल की कल्पना शक्ति ! क्या बात है ! बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति । बहुत खूब आदरणीया ।

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    1. खूब सारा आभार सर आपके आशीष के लिए।तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  8. Replies
    1. आपका बहुत बहुत आभार सर।

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  9. स्याह रात के
    तन्हा दामन में
    लम्हा लम्हा
    सरकता वक्त
    वाह !!!
    बहुत ही अद्भुत ,हृदयस्पर्शी शब्दचित्र....
    भीगती सारी रात
    चाँदनी की बारिश में
    लाजवाब प्रस्तुति..

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    1. अति आभार सुधा जी आपका।तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।

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  10. कितनी सरलता से तन्हा रात का सुंदर चित्र शब्दों में सजा दिया आदरणीय श्वेता जी -------- वाह और सिर्फ वाह !!!!!!!!!

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    1. आपके इस वाह्ह्ह से तो हृदय गदगद हो गया रेणु जी।बहुत बहुता आभार एशं तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  11. क्या बात
    बहुत शानदार.....
    स्याह बादल के कतरों
    के बीच शफ्फाक
    हीरे की कनी सा
    आँखों को लुभाता
    शरमीला चाँद
    दिल छूने वाली रच

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  12. अति आभार आपका लोकेश जी,तहेदिल से बहुत शुक्रिया।

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  13. बेहद खूबसूरत रचना

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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