स्याह रात के
तन्हा दामन में
लम्हा लम्हा
सरकता वक्त,
बादलों के ओठों पर
धीमे धीमें मुस्कुराता
स्याह बादल के कतरों
के बीच शफ्फाक
हीरे की कनी सा
आँखों को लुभाता
शरमीला चाँद,
खामोश ताकते
सितारों की महफिल से
छिटक कर गिरते
ख्वाहिशों के टुकड़े
एक एक कर चुनती
समेटती मुट्ठियों में
अनदेखे ख्वाब,
भीगती सारी रात
चाँदनी की बारिश में
जुगनुओं से खेलती लुका छिपी
काँच की बोतलों में
भरकर ऊँघते चाँद की खुशबू
थक गयी हटाकर
बादलों के परदे
एक झलक भोर के
इंतज़ार में,
लंबी रात की पल पल गिनती
बैठी हूँ आज फिर
अपने आगोश मे
दरख्तों को लेकर सोये
झील के खामोश किनारे पर।
#श्वेता🍁
तन्हा दामन में
लम्हा लम्हा
सरकता वक्त,
बादलों के ओठों पर
धीमे धीमें मुस्कुराता
स्याह बादल के कतरों
के बीच शफ्फाक
हीरे की कनी सा
आँखों को लुभाता
शरमीला चाँद,
खामोश ताकते
सितारों की महफिल से
छिटक कर गिरते
ख्वाहिशों के टुकड़े
एक एक कर चुनती
समेटती मुट्ठियों में
अनदेखे ख्वाब,
भीगती सारी रात
चाँदनी की बारिश में
जुगनुओं से खेलती लुका छिपी
काँच की बोतलों में
भरकर ऊँघते चाँद की खुशबू
थक गयी हटाकर
बादलों के परदे
एक झलक भोर के
इंतज़ार में,
लंबी रात की पल पल गिनती
बैठी हूँ आज फिर
अपने आगोश मे
दरख्तों को लेकर सोये
झील के खामोश किनारे पर।
#श्वेता🍁
Your picture is amazing
ReplyDeleteThankx
Deleteवाह..
ReplyDeleteसादर आभार दी,आपका आशीष मिला मन प्रसन्न हुआ:)
DeleteNice
ReplyDeletehttp://www.englishinbhilai.com/
Thanku so much praveen ji
Deleteसुकोमल भावों को प्रकृति की विराटता की स्वप्निल यात्रा कराती, खुले आसमान में स्वच्छंदता से विचरण करते हुए भावुकता के आगोश में ला पटकती है अंत में यह रचना।
ReplyDeleteमार्मिक सृजन।
संसार की भौतिकता जब हद पार कर जाय और नकारात्मक्ता छा जाय तब प्रकृति के आँचल में ही सुकूं मिलता है।
थके मन को ताज़गी का एहसास कराती उत्कृष्ट रचना। बधाई एवं शुभकामनाऐं श्वेता जी।
लिखते रहिये।
आपकी विश्लषणात्मक प्रतिक्रिया के आभार के लिए शब्द नहीं है मेरे पास। बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपका हृदयतल से।
Deleteआपके शुभकामनाओं का साथ बना रहे सदैव यही चाहेगें।
नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 07 -09 -2017 को प्रकाशनार्थ 783 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।
ReplyDeleteअति आभार आपका रवींद्र जी।
Deleteआपने रचना को मान दिया तहे दिल से आभारी है।
खूबसूरत चित्र खींच दिया शब्दों से !!!
ReplyDeleteसब कुछ सजीव सा हो उठा आँखों के सामने....
बधाई श्वेताजी !
अति आभार आपका मीना जी,सस्नेह तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteबहुत सुन्दर रचना ,आभार "एकलव्य"
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका तहेदिल दिल से शुक्रिया ध्रुव जी।
Deleteवाह ! कमाल की कल्पना शक्ति ! क्या बात है ! बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति । बहुत खूब आदरणीया ।
ReplyDeleteखूब सारा आभार सर आपके आशीष के लिए।तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteसुन्दर भाव।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार सर।
Deleteस्याह रात के
ReplyDeleteतन्हा दामन में
लम्हा लम्हा
सरकता वक्त
वाह !!!
बहुत ही अद्भुत ,हृदयस्पर्शी शब्दचित्र....
भीगती सारी रात
चाँदनी की बारिश में
लाजवाब प्रस्तुति..
अति आभार सुधा जी आपका।तहेदिल से बहुत शुक्रिया आपका।
Deleteकितनी सरलता से तन्हा रात का सुंदर चित्र शब्दों में सजा दिया आदरणीय श्वेता जी -------- वाह और सिर्फ वाह !!!!!!!!!
ReplyDeleteआपके इस वाह्ह्ह से तो हृदय गदगद हो गया रेणु जी।बहुत बहुता आभार एशं तहेदिल से शुक्रिया आपका।
Deleteक्या बात
ReplyDeleteबहुत शानदार.....
स्याह बादल के कतरों
के बीच शफ्फाक
हीरे की कनी सा
आँखों को लुभाता
शरमीला चाँद
दिल छूने वाली रच
अति आभार आपका लोकेश जी,तहेदिल से बहुत शुक्रिया।
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना
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