अश्आर
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घोलकर तेरे एहसास जेहन की वादियों में
मुस्कुराती हूँ तेरे नाम के गुलाब खिलने पर
मुस्कुराती हूँ तेरे नाम के गुलाब खिलने पर
तेरा ख्याल धड़कनों की ताल पर गूँजता है
गुनगुनाते हो साँसों में जीवन रागिनी बनकर
गुनगुनाते हो साँसों में जीवन रागिनी बनकर
तन्हाई के आगोश में लिपटी रिमझिम यादें
भींगो जाती है कोना कोना मन के आँगन का
भींगो जाती है कोना कोना मन के आँगन का
खामोशियों में फैलती तेरी बातों की खुशबू
महक जाते है जज़्बात तुम्हें महसूस करके
महक जाते है जज़्बात तुम्हें महसूस करके
जबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने
कोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में
कोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में
श्रृंगार रस से सराबोर सुन्दर रचना स्वेता जी ... वंदना बाजपेयी
ReplyDeleteबहुत बहुत हार्दिक आभार आपका वंदना जी।
Deleteबेहद खूबसूरत भाव संयोजन श्वेता जी .
ReplyDeleteबेहद आभार एवं तहेदिल.से शुक्रिया आपका मीना जी।
Deleteबेहद लाजवाब....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर....
वाह?
तहेदिल से बहुत बहुत शुक्रिया एवं आभार आपका सुधा जी।
Deleteबहुत खूबसूरत भाव व शब्द संयोजन श्वेता जी. सुन्दर रचना. सादर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार तहेदिल से बहुत सारा शुक्रिया आपका अपर्णा जी।
Deleteप्राण पाश, हे प्राण! तुम्हारे,
ReplyDeleteश्वासों में सुरभि घोल गए।
दे अंग अंग ऊष्मा चेतन ,
बंधन ग्रंथि के खोल गए।.......बहुत सुकोमल भाव . शुभकामना !!!
आपकी की सुंदर विशेष पंक्तियों के लिए अति आभार विश्वमोहन जी।
Deleteआपकी शुभकानाएं सदैव बनी रही।आभार आपका।
हर एक लफ्ज सन्देश से भरा श्वेता जी प्रस्तुति के लिए आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका संजय जी काफी दिनों बाद आपकी प्रतिक्रिया पाकर अच्छा लगा।
Deleteतहेदिल से शुक्रिया बहुत सार।
प्रेम से परिपुर्ण सुंदर अभिव्यक्ति, स्वेता!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका ज्योति जी।
Deleteजबसे बाँधा है गिरह तेरे दिल से मेरे दिल ने
ReplyDeleteकोई दूजा ख्वाब आता नहीं पलकों के दायरे में------ क्या बात है !!!!! अनुराग के चरम को छूती रचना ----
अति आभार आपका रेणुजी, आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से शुक्रिया।
Deleteबहुत ही सुंदर भावाव्यक्ति
ReplyDeleteसुंदर रचना
बहीत बहुत आभार एवं शुक्रिया आपका लोकेश जी।
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