Tuesday, 14 November 2017

चकोर


सम्मोहित मन
निमग्न ताकता है,
एकटुक झरोखे से
मुंडेर की अलगनी पर 
बेफिक्र लटके
अभ्रख के टुकड़े से
चमकीले चाँद को,
पिघलती चाँदनी 
की बूँदों को पीने को
व्याकुल
हृदय चकोर।
जानता है 
मुमकिन नहीं छू पाना
एक कतरा भी
उंगली के पोर से भी
फिर भी अवश हो
बौराया चकोर
चाँद की बेपरवाही
भूलकर
बूँदभर चाँदनी के लिए
सिसकता है,
बंधा अपनी सीमाओं से
सुरमई रात के
ख्वाब का भरम टूटने तक।

      #श्वेता🍁

31 comments:

  1. बहुत ही बेहतरीन रचना
    भावनाओं को उकेरती हुई

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    1. बहुत बहुत आभार आपका लोकेश जी,तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।

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  2. सुंदर भाव लिए मोहक रचना,चश्वेथा जी।।।।

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    1. बहुत बहुत आभार,शुक्रिया आपका बहुत सारा आदरणीय p.k ji.






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  3. वाह ! खूबसूरत रचना ! बहुत सुंदर आदरणीया ।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका तहेदिल से शुक्रिया
      सर,आपका आशीष मिला।

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  4. खूबसूरत रचना, बहुत सुंदर....

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया नीतू जी।

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  5. अद्वितीय अद्भुत भावों का चमत्कार देखना हो तो सीधे आप की कोई रचना पढ़ लेनी चाहिए मन चकोर जैसे चांद को पा जाता है।
    बहुत बहुत सुंदर।
    शुभ दिवस ।

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    1. दी,आपकी सराहना पाकर मन अभिभूत हो जाता है,क्या कहे आभार म़े समझ नहीं पाते है।
      दी आपने हमेशा मेरा मनोबल बढ़ाती है दी।अपना आशीष बनाये रखिएगा दी।

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  6. वाह!!!
    लाजवाब रचना...
    चकोर बंधा अपनी सीमाओं से सुरमई
    रात के भरम टूटने तक......
    वाहवाह....

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सुधा जी,तहेदिल से शुक्रिया बहुत सारा।

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  7. मानसिकता का सुंदर चित्रण.

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    1. बहुत बहुत आभार आपका रंगराज जी,तहेदिल से शुक्रिया खूब सारा।

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  8. खूबसूरत और मनमोहक रचना‎ श्वेता जी .

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका मीना जी।

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  9. भारतीय वाङग्मय में प्रतिष्ठा के साथ स्थापित है पक्षी चकोर। चन्द्रमा से इसका अगाध प्रेम इससे जुड़ी लोककथाओं में वर्णित है।
    साहित्य में मौजूद चकोर पर रचनाओं की कड़ी में आपकी इस ख़ूबसूरत सम्मोहक रचना ने भी चार चाँद लगा दिए हैं। अभिव्यक्ति में भावों का सैलाब उमड़ पड़ा है। अति सुंदर रचना आपकी श्वेता जी। लिखते रहिये मर्मज्ञ रसज्ञ जनों को साहित्य के नए रंगों से परिचय कराने हेतु। प्रकृति से जुड़े बिषय आपकी लेखनी मधुरता का एहसास लेकर आती है वाचक के समक्ष। बधाई एवं शुभकामनाऐं।


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    1. आपकी इतनी विस्तृत, सारगर्भित प्रतिक्रिया पर हम क्या कहे आदरणीय रवींद्र जी,मन आपकी सराहना पाकर हर्षित है,कृपया त्रुटियों पर भी अवश्य दृष्टिपात करते रहे,बहुत आभारी रहेगे आपके।
      आभार आभार बहुत सारा आभार।

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  10. बहुत सुन्दर रचना है आपकी श्वेता जी। बहुत अच्छी लगी।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अनु जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  11. बहुत सुंदर रचना।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका ज्योति जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  12. गहरे एहसास भरी नज़्म ...

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    1. बहुत बहुत आभार तहेदिल से शुक्रिया आपका संजय जी।

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  13. बहुत ही सुंदर !!!

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    1. बहुत बहुत आभार आपका मीना जी,तहेदिल से शुक्रिया आपका।

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  14. चाँद की बेपरवाही
    भूलकर
    बूँदभर चाँदनी के लिए
    सिसकता है,
    बंधा अपनी सीमाओं से
    सुरमई रात के
    ख्वाब का भरम टूटने तक।

    काश.. चकोर के मन के भाव चाँद समझ जाता तो नजारा ही कुछ और होता.
    बहुत बहुत सुन्दर रचना.

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  15. सादर नमस्कार ! लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" आज 25 दिसम्बर 2017 को साझा की गई है..................
    http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! देर से सूचना देने हेतु क्षमा चाहती हूँ ।

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  16. कोमल भावों और एहसासों से भरी मधुर रचना..

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  17. चकोर तो बस एक बहाना है -
    तुम्हे मन का हाल बताना है -
    जागूं तो यादों संग बीते दिन
    नीदों में तेरे सपनों को ले सो जाना है ---
    चकोर के बहाने मन की वेदना सार्थक रूप में शब्दांकित हुई है -- बधाई श्वेता जी --

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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