Saturday, 8 December 2018

स्वप्न


तन्हाइयों में गुम ख़ामोशियों की
बन के आवाज़ गुनगुनाऊँ 
ज़िंदगी की थाप पर नाचती साँसें
लय टूटने से पहले जी जाऊँ 

दरबार में ठुमरियाँ हैं सर झुकाये
सहमी-सी हवायें शायरी कैसे सुनायें
बेहिस क़लम में भरुँ स्याही बेखौफ़ 
तोड़कर बंदिश लबों की, गीत गाऊँ

गुम फ़िजायें गूँजती बारुदी पायल
गुल खिले चुपचाप बुलबुल हैं घायल
मंदिर,मस्जिद की हद से निकलकर
छिड़क इत्र सौहार्द के,नग्में सुनाऊँ

हादसों के सदमे से सहमा शहर
बेआवाज़ चल रही हैं ज़िंदगानी
धुँध की चादर जो आँख़ों में पड़ी
खींच दूँ नयी एक सुबह जगाऊँ

बंद दरवाज़े,सोये हुये हैंं लोग बहरे
आम क़त्लेआम, हँसी पर हज़ार पहरे
चीर सन्नाटों को, रचा बाज़ीगरी कोई
खुलवा खिडकियाँ आईना दिखाऊँ

काश! आदमियत ही जात हो जाये
दिलों से मानवता की बात हो जाये
कूची कोई जादू भरी मुझको मिले
स्वप्न सत्य करे,ऐसी तस्वीर बनाऊँ

-श्वेता सिन्हा


बेहिस-लाचार

sweta sinha जी बधाई हो!,

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धन्यवाद, शब्दनगरी संगठन

34 comments:

  1. काश! आदमियत ही जात हो जाये
    दिलों से मानवता की बात हो जाये
    कूची कोई जादू भरी मुझको मिले
    स्वप्न सत्य करे,ऐसी तस्वीर बनाऊँ।
    वा...व्व...श्वेता, बहुत ही बढ़िया सोच।

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    1. बेहद शुक्रिया आपका,हृदयतल से आभारी हूँ।

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  2. हादसों के सदमे से सहमा शहर
    बेआवाज़ चल रही हैं ज़िंदगानी
    धुँध की चादर जो आँख़ों में पड़ी
    खींच दूँ नयी एक सुबह जगाऊँ वाह बहुत ही बेहतरीन रचना श्वेता जी

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    1. बेहद शुक्रिया, सादर आभार आपका अनुराधा जी।

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  3. बहुत सुंदर शब्दों और भावों का तानाबाना।

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    1. सादर आभार पम्मी जी...शुक्रिया बहुत सारा।

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना....
    बेहतरीन भाव ..लाजवाब....
    काश! आदमियत ही जात हो जाये
    दिलों से मानवता की बात हो जाये
    कूची कोई जादू भरी मुझको मिले
    स्वप्न सत्य करे,ऐसी तस्वीर बनाऊँ
    वाह!!!

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    1. सादर आभार सुधा जी,बेहद शुक्रिया।

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  5. काश! आदमियत ही जात हो जाये
    दिलों से मानवता की बात हो जाये
    कूची कोई जादू भरी मुझको मिले
    स्वप्न सत्य करे,ऐसी तस्वीर बनाऊँ .... सुंदर भावों से सजी सुंदर रचना।

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    1. सादर आभार दीपा जी,बेहद शुक्रिया।

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  6. Replies
    1. सादर आभार सर...बहुत शुक्रिया।

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  7. बर्बादियों को कोई यूं सजा दे, चित्कार की झंकार सुनादे हां वो सच एक दिव्य दृष्टि कवि ही कर सकता है।
    अद्भुत काव्य विलक्षणता ।

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    1. दी आपके स्नेहासिक्त शब्दों के लिए क्या कहें कुछ सूझता नहीं..स्नेह और आशीष बनाये रखें दी।
      बहुत बहुत आभार बेहद शुक्रिया।

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  8. बहुत बढ़िया

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    1. बहुत आभार ओंकार जी..बेहद शुक्रिया।

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  9. मानवता को समर्पित सुंदर स्वप्न.

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    1. बहुत आभार राकेश जी..बेहद शुक्रिया।

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  10. काश, आदमियत ही जात हो जय...
    वाह! फिर क्या बात हो जाय! सुंदर भावनाओं का साधुवाद।

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    1. बहुत आभारी हूँ विश्वमोहन जी आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए...बहुत शुक्रिया।

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  11. सादर आभार सर,बेहद शुक्रिया आपका।

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  12. बहुत ही सुन्दर रचना श्वेता जी
    सादर

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    1. बेहद आभारी हूँ अनीता जी।

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  13. Replies
    1. बेहद आभारी हूँ आदरणीय।

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  14. वाह क्या कशिश क्या तड़फ क्या इंक़लाब के बयान हैं हैं इस नज़म में।बस मज़ा आ गया पढ़कर।
    बेहतरीन।

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    1. सादर आभार जफ़र जी,बेहद शुक्रिया आपका।

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  15. काश की ऐसा हो जाये ...
    पर क्या इंसान आज इतना सोचता है ... समय कहाँ है उसके पार मानवता लाने का ... जहाँ बारूद की खुशबू है वहां इतर क्या काम करेगा ...
    अच्छे रचना है ...

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    1. बेहद शुक्रिया आपका नासवा जी, हृदयतल से आभारी हूँ।

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  16. काश! आदमियत ही जात हो जाये
    दिलों से मानवता की बात हो जाये
    कूची कोई जादू भरी मुझको मिले
    स्वप्न सत्य करे,ऐसी तस्वीर बनाऊँ... बहुत सुंदर रचना

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    1. सादर आभार वंदना जी,बेहद.शुक्रिया आपका।

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  17. Replies
    1. सादर आभार लोकेश जी...बेहद शुक्रिया आपका।

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  18. Bohot acha article tha...yha par celebrities ke bare me oadh sakte hai handlewife.com

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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