तन्हाइयों में गुम ख़ामोशियों की
बन के आवाज़ गुनगुनाऊँ
ज़िंदगी की थाप पर नाचती साँसें
लय टूटने से पहले जी जाऊँ
दरबार में ठुमरियाँ हैं सर झुकाये
सहमी-सी हवायें शायरी कैसे सुनायें
बेहिस क़लम में भरुँ स्याही बेखौफ़
तोड़कर बंदिश लबों की, गीत गाऊँ
गुम फ़िजायें गूँजती बारुदी पायल
गुल खिले चुपचाप बुलबुल हैं घायल
मंदिर,मस्जिद की हद से निकलकर
छिड़क इत्र सौहार्द के,नग्में सुनाऊँ
हादसों के सदमे से सहमा शहर
बेआवाज़ चल रही हैं ज़िंदगानी
धुँध की चादर जो आँख़ों में पड़ी
खींच दूँ नयी एक सुबह जगाऊँ
बंद दरवाज़े,सोये हुये हैंं लोग बहरे
आम क़त्लेआम, हँसी पर हज़ार पहरे
चीर सन्नाटों को, रचा बाज़ीगरी कोई
खुलवा खिडकियाँ आईना दिखाऊँ
काश! आदमियत ही जात हो जाये
दिलों से मानवता की बात हो जाये
कूची कोई जादू भरी मुझको मिले
स्वप्न सत्य करे,ऐसी तस्वीर बनाऊँ
-श्वेता सिन्हा
बेहिस-लाचार
sweta sinha जी बधाई हो!,
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काश! आदमियत ही जात हो जाये
ReplyDeleteदिलों से मानवता की बात हो जाये
कूची कोई जादू भरी मुझको मिले
स्वप्न सत्य करे,ऐसी तस्वीर बनाऊँ।
वा...व्व...श्वेता, बहुत ही बढ़िया सोच।
बेहद शुक्रिया आपका,हृदयतल से आभारी हूँ।
Deleteहादसों के सदमे से सहमा शहर
ReplyDeleteबेआवाज़ चल रही हैं ज़िंदगानी
धुँध की चादर जो आँख़ों में पड़ी
खींच दूँ नयी एक सुबह जगाऊँ वाह बहुत ही बेहतरीन रचना श्वेता जी
बेहद शुक्रिया, सादर आभार आपका अनुराधा जी।
Deleteबहुत सुंदर शब्दों और भावों का तानाबाना।
ReplyDeleteसादर आभार पम्मी जी...शुक्रिया बहुत सारा।
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDeleteबेहतरीन भाव ..लाजवाब....
काश! आदमियत ही जात हो जाये
दिलों से मानवता की बात हो जाये
कूची कोई जादू भरी मुझको मिले
स्वप्न सत्य करे,ऐसी तस्वीर बनाऊँ
वाह!!!
सादर आभार सुधा जी,बेहद शुक्रिया।
Deleteकाश! आदमियत ही जात हो जाये
ReplyDeleteदिलों से मानवता की बात हो जाये
कूची कोई जादू भरी मुझको मिले
स्वप्न सत्य करे,ऐसी तस्वीर बनाऊँ .... सुंदर भावों से सजी सुंदर रचना।
सादर आभार दीपा जी,बेहद शुक्रिया।
Deleteवाह
ReplyDeleteसादर आभार सर...बहुत शुक्रिया।
Deleteबर्बादियों को कोई यूं सजा दे, चित्कार की झंकार सुनादे हां वो सच एक दिव्य दृष्टि कवि ही कर सकता है।
ReplyDeleteअद्भुत काव्य विलक्षणता ।
दी आपके स्नेहासिक्त शब्दों के लिए क्या कहें कुछ सूझता नहीं..स्नेह और आशीष बनाये रखें दी।
Deleteबहुत बहुत आभार बेहद शुक्रिया।
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत आभार ओंकार जी..बेहद शुक्रिया।
Deleteमानवता को समर्पित सुंदर स्वप्न.
ReplyDeleteबहुत आभार राकेश जी..बेहद शुक्रिया।
Deleteकाश, आदमियत ही जात हो जय...
ReplyDeleteवाह! फिर क्या बात हो जाय! सुंदर भावनाओं का साधुवाद।
बहुत आभारी हूँ विश्वमोहन जी आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए...बहुत शुक्रिया।
Deleteसादर आभार सर,बेहद शुक्रिया आपका।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना श्वेता जी
ReplyDeleteसादर
बेहद आभारी हूँ अनीता जी।
Deleteबहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबेहद आभारी हूँ आदरणीय।
Deleteवाह क्या कशिश क्या तड़फ क्या इंक़लाब के बयान हैं हैं इस नज़म में।बस मज़ा आ गया पढ़कर।
ReplyDeleteबेहतरीन।
सादर आभार जफ़र जी,बेहद शुक्रिया आपका।
Deleteकाश की ऐसा हो जाये ...
ReplyDeleteपर क्या इंसान आज इतना सोचता है ... समय कहाँ है उसके पार मानवता लाने का ... जहाँ बारूद की खुशबू है वहां इतर क्या काम करेगा ...
अच्छे रचना है ...
बेहद शुक्रिया आपका नासवा जी, हृदयतल से आभारी हूँ।
Deleteकाश! आदमियत ही जात हो जाये
ReplyDeleteदिलों से मानवता की बात हो जाये
कूची कोई जादू भरी मुझको मिले
स्वप्न सत्य करे,ऐसी तस्वीर बनाऊँ... बहुत सुंदर रचना
सादर आभार वंदना जी,बेहद.शुक्रिया आपका।
Deleteशानदार रचना
ReplyDeleteसादर आभार लोकेश जी...बेहद शुक्रिया आपका।
DeleteBohot acha article tha...yha par celebrities ke bare me oadh sakte hai handlewife.com
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