पी छवि नयन में आते ही
मुखड़ा हुआ अबीर-सा
फूटे हरसिंगार बदन पे
चुटकी केसर क्षीर-सा
पहन रंगीली चुनर रसीली
वन पलाश के इतराये
झर-झर झरते रंग ऋतु के
फगुनाहट मति भरमाये
खुशबू गाये गीत गुलाबी
भाव विभोर ऋतु पीर-सा
अमिया बौर की गंध मतायी
बड़ी नशीली भोर रे
कूहू विरह की पाती लिखे
छलकी अँखियाँ कोर रे
तन पिंजरा आकुल डोले
नाम जपे मन कीर-सा
इत्र की शीशी उलट गयी
चूडियाँ खनकी,साँसें हुई मृदंग
छू-छू उलझे लट से आकर
पगलाई हवा,पी बौराई भंग
रस प्रेम में भीगा-भीगा मन
पी ओर खिंचाये हीर-सा
कैसे होली खेलूँ प्रियतम
ना छूटे रंग प्रीत पक्का
हरा,गुलाबी, पीत,बसंती
लाल,बैंजनी सब कच्चा
तुम हो तो हर मौसम होली
हर पल लगे अबीर-सा
#श्वेता सिन्हा
व्वाहहह....
ReplyDeleteबेहतरीन...
सादर...
आभारी हूँ सर..रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
Deleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteआभारी हूँ लोकेश जी रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
Deleteबहुत सुन्दर ... होली की उमंगों का मजा दूना हो जाता है जब संग प्रीत-प्रेम का हो जाता है ... लाकुचाती, बलखाती प्रेम के रंगों से सरोबर रचना ...
ReplyDeleteआभारी हूँ सर..बेहद शुक्रिया..रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
Deleteवाह श्वेता ! हम तो तुम्हें सिर्फ़ महादेवी जी की शिष्या समझ्रते थे, तुम तो पद्माकर की शिष्या भी निकलीं !
ReplyDeleteजी सर आपके शुभाशीष और सराहना के लिए आभारी हूँ सादर।
Deleteरंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।
पी छवि नयन में आते ही
ReplyDeleteमुखड़ा हुआ अबीर-सा
फूटे हरसिंगार बदन पे
चुटकी केसर क्षीर-सा
वाह.....बेहद भावपूर्ण रचना आदरणीया
आभारी हूँ आदरणीय..सादर शुक्रिया।
Deleteरंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।
शुभ हो रंगों का त्यौहार।
ReplyDeleteजी सर आपके आशीष और शुभकामनाओं के लिए सादर आभार।
Deleteआपको भी रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं सर।
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 21 मार्च 2019 को प्रकाशनार्थ 1343 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteय श्वेता - अनुराग रंगी बहुत भावपूर्ण रचना | प्रेम का रंग ही स्थायी होता है बाकि तो मौसमी प्रपंच हैं | बहुत बधाई और शुभकामनायें | सपरिवार होली मुबारक हो | प्रीत का ये रंग और गहरा हो | मेरी बहन मेरा प्यार |
ReplyDeleteरगों के त्यौहार होली की शुभकामनाएं
ReplyDeleteइत्र की शीशी उलट गयी
ReplyDeleteचूडियाँ खनकी,साँसें हुई मृदंग
छू-छू उलझे लट से आकर
पगलाई हवा,पी बौराई भंग
रस प्रेम में भीगा-भीगा मन
पी ओर खिंचाये हीर-सा
बहुत ही सुन्दर... लाजवाब...।
होली की शुभकामनाएं श्वेता जी !
रंगों के त्यौहार होली की शुभकामनाएं श्वेता जी
ReplyDeleteनिशब्द और मन्त्रमुगध हूँ आपकी रचना पढ़ कर । होली के सभी रंगों को साकार करती अनुपम रचना । आपको सपरिवार रंगोत्सव की अनन्त शुभकामनाएँ श्वेता जी ।
ReplyDeleteकैसे होली खेलूँ प्रियतम
ReplyDeleteना छूटे रंग प्रीत पक्का
हरा,गुलाबी, पीत,बसंती
लाल,बैंजनी सब कच्चा
तुम हो तो हर मौसम होली
हर पल लगे अबीर-सा
बहुत ही सुंदर... लाजबाब..होली की हार्दिक शुभकामनाये स्वेता जी
लाल,बैंजनी सब कच्चा
ReplyDeleteतुम हो तो हर मौसम होली
हर पल लगे अबीर-सा
बहुत ही सुंदर.....,होली के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाये श्वेता जी
कैसे होली खेलूँ प्रियतम
ReplyDeleteना छूटे रंग प्रीत पक्का
बहुत सुंदर, श्वेता दी। होली की आपको एवं आपके पूरे परिवार को बहुत बहुत बधाई।
वाह! रंगों के पर्व होली में प्रेम की पींगें बिखेरती भावपूर्ण रचना जिसका शब्दाँकन रसज्ञ पाठक को भाव-विभोर करता है।
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ।
वाह बेहतरीन रचना
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏
होली की सपरिवार शुभकामना।
ReplyDelete- पूनम और विश्वमोहन
कैसे होली खेलूँ प्रियतम
ReplyDeleteना छूटे रंग प्रीत पक्का
हरा,गुलाबी, पीत,बसंती
लाल,बैंजनी सब कच्चा
वाह बहुत ही सुन्दर रंग बिखेरे हैं आपने फागुन के।
आभार
वाह्ह्ह श्वेता ये होली के रंग है या है मन की फाग।
ReplyDeleteशब्द शब्द यूं कसक रहा ज्यों अंबर उड़ी गुलाल
सब पर जादू कर गया, इस फागुन चढ़ा जलाल।
बहुत सुंदर काव्यात्मक शृंगार रचना फागुन में बौराई सी।
बहुत सुंदर रचना....आप को होली की शुभकामनाएं...
ReplyDeleteआशा करता हूँ
ReplyDeleteवो केवल छवि में ही नहीं प्रत्यक्ष भी रहे होंगे... होली के अवसर पर.
सुंदर रचना
श्रंगार रस से सराबोर.