Tuesday 19 March 2019

होली


पी छवि नयन में आते ही
मुखड़ा हुआ अबीर-सा
फूटे हरसिंगार बदन पे
चुटकी केसर क्षीर-सा

पहन रंगीली चुनर रसीली
वन पलाश के इतराये
झर-झर झरते रंग ऋतु के
फगुनाहट मति भरमाये
खुशबू गाये गीत गुलाबी
भाव विभोर ऋतु पीर-सा

अमिया बौर की गंध मतायी
बड़ी नशीली भोर रे
कूहू विरह की पाती लिखे
छलकी अँखियाँ कोर रे
तन पिंजरा आकुल डोले
नाम जपे मन कीर-सा

इत्र की शीशी उलट गयी
चूडियाँ खनकी,साँसें हुई मृदंग
छू-छू उलझे लट से आकर 
पगलाई हवा,पी बौराई भंग
रस प्रेम में भीगा-भीगा मन
पी ओर खिंचाये हीर-सा

कैसे होली खेलूँ प्रियतम
ना छूटे रंग प्रीत पक्का
हरा,गुलाबी, पीत,बसंती
लाल,बैंजनी सब कच्चा
तुम हो तो हर मौसम होली
हर पल लगे अबीर-सा

#श्वेता सिन्हा






30 comments:

  1. व्वाहहह....
    बेहतरीन...
    सादर...

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    1. आभारी हूँ सर..रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. आभारी हूँ लोकेश जी रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  3. बहुत सुन्दर ... होली की उमंगों का मजा दूना हो जाता है जब संग प्रीत-प्रेम का हो जाता है ... लाकुचाती, बलखाती प्रेम के रंगों से सरोबर रचना ...

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    1. आभारी हूँ सर..बेहद शुक्रिया..रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  4. वाह श्वेता ! हम तो तुम्हें सिर्फ़ महादेवी जी की शिष्या समझ्रते थे, तुम तो पद्माकर की शिष्या भी निकलीं !

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    1. जी सर आपके शुभाशीष और सराहना के लिए आभारी हूँ सादर।
      रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  5. पी छवि नयन में आते ही
    मुखड़ा हुआ अबीर-सा
    फूटे हरसिंगार बदन पे
    चुटकी केसर क्षीर-सा
    वाह.....बेहद भावपूर्ण रचना आदरणीया

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    1. आभारी हूँ आदरणीय..सादर शुक्रिया।
      रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  6. शुभ हो रंगों का त्यौहार।

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    1. जी सर आपके आशीष और शुभकामनाओं के लिए सादर आभार।
      आपको भी रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं सर।

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  7. नमस्ते,

    आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
    ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
    गुरुवार 21 मार्च 2019 को प्रकाशनार्थ 1343 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।

    प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
    चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
    सधन्यवाद।

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  9. य श्वेता - अनुराग रंगी बहुत भावपूर्ण रचना | प्रेम का रंग ही स्थायी होता है बाकि तो मौसमी प्रपंच हैं | बहुत बधाई और शुभकामनायें | सपरिवार होली मुबारक हो | प्रीत का ये रंग और गहरा हो | मेरी बहन मेरा प्यार |

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  10. रगों के त्यौहार होली की शुभकामनाएं

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  11. इत्र की शीशी उलट गयी
    चूडियाँ खनकी,साँसें हुई मृदंग
    छू-छू उलझे लट से आकर
    पगलाई हवा,पी बौराई भंग
    रस प्रेम में भीगा-भीगा मन
    पी ओर खिंचाये हीर-सा
    बहुत ही सुन्दर... लाजवाब...।
    होली की शुभकामनाएं श्वेता जी !

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  12. रंगों के त्यौहार होली की शुभकामनाएं श्वेता जी

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  13. निशब्द और मन्त्रमुगध हूँ आपकी रचना पढ़ कर । होली के सभी रंगों को साकार करती अनुपम रचना । आपको सपरिवार रंगोत्सव की अनन्त शुभकामनाएँ श्वेता जी ।

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  14. कैसे होली खेलूँ प्रियतम
    ना छूटे रंग प्रीत पक्का
    हरा,गुलाबी, पीत,बसंती
    लाल,बैंजनी सब कच्चा
    तुम हो तो हर मौसम होली
    हर पल लगे अबीर-सा
    बहुत ही सुंदर... लाजबाब..होली की हार्दिक शुभकामनाये स्वेता जी

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  15. लाल,बैंजनी सब कच्चा
    तुम हो तो हर मौसम होली
    हर पल लगे अबीर-सा
    बहुत ही सुंदर.....,होली के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाये श्वेता जी

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  16. कैसे होली खेलूँ प्रियतम
    ना छूटे रंग प्रीत पक्का
    बहुत सुंदर, श्वेता दी। होली की आपको एवं आपके पूरे परिवार को बहुत बहुत बधाई।

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  17. वाह! रंगों के पर्व होली में प्रेम की पींगें बिखेरती भावपूर्ण रचना जिसका शब्दाँकन रसज्ञ पाठक को भाव-विभोर करता है।

    होली की शुभकामनाएँ।

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  18. वाह बेहतरीन रचना
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏

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  19. होली की सपरिवार शुभकामना।
    - पूनम और विश्वमोहन

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  20. कैसे होली खेलूँ प्रियतम
    ना छूटे रंग प्रीत पक्का
    हरा,गुलाबी, पीत,बसंती
    लाल,बैंजनी सब कच्चा

    वाह बहुत ही सुन्दर रंग बिखेरे हैं आपने फागुन के।
    आभार

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  21. वाह्ह्ह श्वेता ये होली के रंग है या है मन की फाग।
    शब्द शब्द यूं कसक रहा ज्यों अंबर उड़ी गुलाल
    सब पर जादू कर गया, इस फागुन चढ़ा जलाल।
    बहुत सुंदर काव्यात्मक शृंगार रचना फागुन में बौराई सी।

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  22. बहुत सुंदर रचना....आप को होली की शुभकामनाएं...

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  23. मुक्त काव्य का अनूठा उदाहरण।

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  24. आशा करता हूँ
    वो केवल छवि में ही नहीं प्रत्यक्ष भी रहे होंगे... होली के अवसर पर.
    सुंदर रचना
    श्रंगार रस से सराबोर.

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आपकी लिखी प्रतिक्रियाएँ मेरी लेखनी की ऊर्जा है।
शुक्रिया।

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